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देश भर में अगले शिक्षा सत्र से डिजिटल यूनिवर्सिटी, परंपरागत यूनिवर्सिटी के समकक्ष ही मिलेगी डिग्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटलीकरण के तहत अब देश भर में अगले सत्र से डिजिटल यूनिवर्सटी का आगाज होगा। इस नए तरह की यूनिवर्सिटी से अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को परंपरागत यूनिवर्सिटी के समकक्ष की ही डिग्री मिलेगी। इसका ऐलान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन ने बुधवार को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में मीडिया के समक्ष की।

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मीडिया से मुखातिब यूजीसी के चेयरमैन और बीेएचयू के कुलपति

मीडिया से मुखातिब यूजीसी के चेयरमैन और बीेएचयू के कुलपति

वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस डिजिटलीकरण को हवा दी अब वो जोर पकड़ता जा रहा है। डिजिटल बैंकिंग, आम लोगों द्वारा डिजिटल लेन-देन तो चल ही रहा है। अब डिजिटल यूनिवर्सिटी भी खुलने जा रही है। यह जानकारी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) चेयरमैन प्रो एम. जगदीश कुमार ने बुधवार को मीडिया को दी। प्रो कुमार गुरुवार से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में शुरू हो रहे तीन दिवसीय नेशनल शैक्षिक समागम और नई शिक्षा नीति के संबंध में जानकारी दे रहे थे।

2023 में शुरू होगी डिजिटल यूनिवर्सिटी

प्रो कुमार ने बताया कि 2023 से डिजिटल यूनिवर्सिटी की शुरुआत करने जा रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस डिजिटल यूनिवर्सिटी की डिग्री पूरी तरह से परंपरागत विश्वविद्यालयों की डिग्री के समकक्ष होगी। डिजिटल यूनिवर्सिटी के तहत वर्चुअल लैब भी तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि डिजिटल यूनिवर्सिटी से कोई भी कंप्यूटर खोलकर घर बैठे डिप्लोमा या डिग्री पा सकेगा। बताया कि ऑनलाइन एजूकेशन पर काफी तेजी से काम चल रहा है। बता दें कि इस साल का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल यूनिवर्सिटी स्थापित करने की बात की थी। अब वित्तमंत्री के संसद के बजट सत्र में किए गए ऐलान को यूजीसी मूर्त रूप देने जा रहा है।

वर्चुअल लैब पर चल रहा काम
यूजीसी के चेयरमैन ने बताया कि डिजिटल यूनिवर्सिटी में परीक्षाएं व एसाइनमेंट सब कुछ ऑनलाइन जमा होंगे। कहें तो वर्चुअल लैब की अवधारणा पर काम चल रहा है। बताया कि साइंस और इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए ऐसा वर्चुअल लैब बनाया जाएगा जो वास्तविकता के करीब हो। साथ ही प्रायोगिक कार्यों के लिए अन्य विकल्पों पर भी मंथन चल रहा है।

शैक्षिक समागम में जुटेंगे 500 से ज्यादा शिक्षाविद्

उन्होंने बताया कि वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में गुरुवार से शुरू होने जा रहे राष्ट्रीय शैक्षिक समागम में देश भर के 500 से अधिक शिक्षाविदों का जुटान होगा। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 2.30 बजे करेंगे। यह तीन दिवसीय अखिल भारतीय शैक्षिक समागम शिक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित है जिसके सह आयोजक यूजीसी और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को प्रभावी ढंग से लागू करने पर होगी चर्चा
प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने बताया की इस समागम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 को प्रभावी ढंग से लागू करने की रणनीति, सफलता की कहानियों और सर्वोत्तम प्रयासों पर चर्चा होगी। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र निर्माण पर अपना दृष्टिकोण साझा करेंगे। कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कौशल और शिक्षा के राज्य मंत्रियों की उपस्थिति रहेगी. इस दौरान डॉ के कस्तूरीरंगन अध्यक्ष एनईपी मसौदा समिति विशेष का संबोधन होगा।

समागम में ये खास लोग अपने विचार रखेंगे

यूजीसी के चेयरमैन प्रो कुमार और बीएचयू के कुलपति प्रो सुधीर जैन ने बताया कि इस शैक्षिक समागम में शिक्षाविद, शोधकर्ता, प्रशासनिक अधिकारी, नीति निर्माता, विचारक, प्रोफेशनल और शैक्षिक विशेषज्ञ और उद्योग विशेषज्ञ अपने विचार साझा करेंगे।

बहु-विषयक और समग्र शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, भारतीय ज्ञान प्रणाली पर चर्चा

उन्होंने बताया कि इस समागम में बहु-विषयक और समग्र शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, भारतीय ज्ञान प्रणाली पर चर्चा होगी। शिक्षा के वैश्वीकरण, डिजिटल सशक्तिकरण और ऑनलाइन शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता, गुणवता, रैंकिंग और प्रत्यायन, समान और समावेशी शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों का क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर सत्र होंगे। शिक्षाविद् एनईपी 2020 के सफल क्रियान्वन से उत्पन्न अपने अनुभव और सफलता की कहानियों को साझा करेंगे।

क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी पुस्तकों पर लगेगी प्रदर्शनी

एनईपी 2020 के क्रियान्वयन के विभिन्न पहलुओं तथा क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी पुस्तकों पर प्रदर्शनी लगाई जाएगी। शिखर समागम राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के रोडमैप और क्रियान्वयन की रणनीतियों को प्रभावी ढंग से नेटवर्क स्पष्ट करेगा। ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा और अंतविषय विचार-विमर्श के माध्यम का निर्माण करेगा। साथ ही शैक्षिक संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा होगी।

प्रत्येक बच्चे को शिक्षा देना है नई शिक्षा नीति का उद्देश्य
प्रो. जगदीश ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि शिक्षा को सरल और सहज बनाया जाए। बच्चों को पढ़ाई में वैरायटी मिले ताकि वो शिक्षा को बोझ न मानें। इसलिए नई शिक्षा नीति लाई गई। अब वाराणसी में इसकी विस्तार से समीक्षा होगी।

शैक्षिक समागम का शेड्यूल

पहला दिन : 7 जुलाई, दिन- गुरुवार,12:30 बजे : सभागार में प्रवेश

2:30 बजे : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन, उद्घाटन और संबोधन

4:00 बजे : ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति : 2020’ की ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन डाॅ. कस्तूरीरंगन का उद्बोधन।

5:10 बजे : पहला सत्र - ‘बहुविषयक और समग्र शिक्षा’ पर विमर्श

दूसरा दिन : 8 जुलाई, दिन - शुक्रवार

सुबह 9:30 बजे : दूसरा सत्र - ‘अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता’ 10:15 बजे : तीसरा सत्र - ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों का क्षमता निर्माण’

11:30 बजे : चौथा सत्र - ‘गुणवत्ता, रैंकिंग और मान्यता’ 12:15 बजे : पांचवां सत्र - ‘डिजिटल सशक्तीकरण और आनलाइन शिक्षा’

2:00 बजे : छठां सत्र - ‘समान और समावेशी शिक्षा’ 2:45 बजे : सातवां सत्र - ‘भारतीय भाषाओं और भारतीय ज्ञान प्रणाली का उन्नयन’

3:45 बजे : आठवां सत्र - ‘सफलता की कहानी और एनईपी 2020 के कार्यान्वयन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभ्यास’

तीसरा दिन : 9 जुलाई, दिन- शनिवार
सुबह 9:30 बजे : नवम सत्र - ‘कौशल विकास और रोजगार योग्यता’

10:15 बजे : 10वां सत्र - ‘शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण’ 11:30 बजे : 11वां सत्र - ‘सक्सेज स्टोरी और NEP-2020 के कार्यान्वयन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभ्यास’

1:15 बजे : 12वां सत्र - ‘उच्च शिक्षा के लिए वाराणसी घोषणापत्र’