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वाराणसी. सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना माना जाता है। सावन में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष पुण्य लाभ मिलता है। शिवपुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व बताया गया है। शिवमहापुराण के अनुसार पार्थिव पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है। वहीं मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन प्रारम्भ किया था।
बता दें कि पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। शिवजी की अराधना के लिए पार्थिव पूजन पुरूष या महिला कोई भी कर सकता है। जो पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजन अर्चना करता है। वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है। शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुःखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। यदि प्रति दिन पार्थिव पूजन किया जाए तो इस लोक तथा परलोक में भी अखण्ड शिव भक्ति मिलती है।
ऐसे करें पार्थिव पूजन
पूजन से पहले मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग का निर्माण करना चाहिए। ध्यान रखें कि शिवलिंग 12 अंगुल से ऊंची होनी चाहिए। अगर शिवलिंग इससे ऊंचा है तो उसके पूजन का फल प्राप्त नहीं होता। मनोकामना पूर्ति के लिए शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस बात का ध्यान रहे कि जो प्रसाद शिवलिंग से स्पर्श कर जाए, उसे ग्रहण नहीं करें।
इस मिट्टी से बनाए शिवलिंग
शिवलिंग हमेशा पवित्र नदी या तालाब की मिट्टी से बनाएं। फिर उस मिट्टी को पुष्प चंदन इत्यादि से शोधित करें। मिट्टी में दूध मिलाकर शोधन करें। उसके बाद शिव मंत्र बोलते हुए उस मिट्टी से शिवलिंग बनाने की क्रिया शुरू करें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर शिवलिंग बनाना चाहिए।
शिवलिंग बनाने के बाद पहले इन देवों की करें पूजा
शिवलिंग बनाने के बाद गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करना चाहिए। फिर विधिवत तरीके से षोडशोपचार करना चाहिए। पार्थिव बनाने के बाद उसे परम ब्रम्ह मानकर पूजा और ध्यान करें। पार्थिव शिवलिंग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। सपरिवार पार्थिव बनाकर शास्त्रवत विधि से पूजन करने से परिवार सुखी रहता है।
Published on:
21 Jul 2019 02:11 pm
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