
वाराणसी में गंगा का पानी हरा
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
वाराणसी. कोरोना काल में वाराणसी गंगा के पानी का रंग बदलकर हरा होने से वैज्ञानिक चिंतित हैं। केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड इसकी जांच में जुट गया है। बीएचयू भी इसकी वजह तलाशने की कोशिश कर रहा है। कहा जा रहा है कि बीते कुछ दिनों से गंगा में लगातार शैवाल आ रहे हैं जिसके चलते वाराणसी में गंगा का पानी पूरी तरह हरा हो गया है। ये स्थिति गंगा में रहने वाले जलीय जंतुओं के लिये खतरनाक साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये स्थिति अमूमन ठहरे हुए पानी में देखी जाती है। बीएचयू के वैज्ञानिकों ने गंगा के पानी के हरा होने पर चिंता जताते हुए इसका सैंपल जांच के लिये भेजा है।
गंगा का पानी किसी ठहरे हुए तालाब की तरह पूरा हरा दिख रहा है। इसे लेकर लोगों में तरह-तरह की आशंकाएं बनी हुई हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो गंगा के प्रवाह में कमी आने से शैवाल जमा हुए हैं और पानी का रंग बदल गया है। नमामि गंगे के संयोजक राजेश शुक्ला का भी अनुमान है कि गंगा में प्रवाह कम होने से ऐसा हो सकता है। उन्होंने मंत्रालय से गंगा के प्रवाह को निरंतर बनाए रखने की गुहार लगाई है।
मशहूर नदी वैज्ञानिक और गंगा विशेषज्ञ बीएचयू के प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी का अनुमान है क गंगा के पानी में हरा-हरा दिख रहा माइक्रोबियल माइक्रोसिस्ट हो सकता है। उनका कहना है कि अमूमन ये ठहरे हुए पानी जैसे तालाबों या नालों में पाए जाते हैं और रुके हुए पानी में तेजीसे बढ़ते हैं। आशंका जतायी है कि ये किसी आसपास के किसी नाले से बहकर शैवाल आया होगा और गंगा में बहा कम होने से इसमें बढ़ोत्तरी दिखायी दे रही है।
बीएचयू के मशहूर न्यूरोलाॅजिस्ट और गंगा मित्र गंगा प्रो. विजय नाथ मिश्र ने बताया कि उन्होंने गंगा में हरे पानी का सैंपल युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों केा देकर इसकी जांच करने को कहा है। उधर केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की स्थानीय टीम की ओर से भी इसकी जांच शुरू कर दी गई है। बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ इनवायरमेंट ऐण्ड सस्टेनेबल डेवेलपमेंट के वैज्ञानिक डाॅ. कृपा राम के मुताबिक सल्फेट या फास्फेट की मात्रा बढ़ने से शैवाल को प्रकाश संस्लेशण का मौका मिलता है, जिसके चलते ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
Published on:
27 May 2021 07:46 pm
बड़ी खबरें
View Allवाराणसी
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
