
गौरी श्रृंगार विवाद : तहखाने में छिपा है ज्ञानवापी का सच, ओवैसी बोले खुल रहा मुस्लिम विरोध का रास्ता
काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर में शनिवार को दूसरे दिन भी सर्वे जारी रहा। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट कमिश्नर के खिलाफ एक याचिका याचिका दायर की। और कहा कि कोर्ट कमिश्नर पार्टी बन कर काम कर रहे हैं। इस बीच एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के कुछ इलाकों के सर्वे को लेकर अदालत का हालिया आदेश मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रहा है। उधर हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में इसका सच छिपा हुआ है।
जारी है सर्वे
काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर का सर्वे शुक्रवार की शाम चार बजे से शुरू हुआ। तीन घंटे में कोर्ट कमिश्नर ने ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी मंदिर और आसपास के देव विग्रहों का बारीकी से सर्वेक्षण किया। जिस ताखे में मां का विग्रह है उसके अंदर तक झांक कर देखा। मंदिर और परिसर क्षेत्र की दीवारों को नाखून से खुरच कर उसकी तहकीकात की। लेकिन मस्जिद का ताला खुलवाने पर विपक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कड़ा प्रतिकार किया। दीवारों को खुरचने पर भी आपत्ति जतायी।
बैरिकेडिंग के अंदर जाने का प्रयास गलत
अधिवक्ता ने बताया कि शृंगार गौरी के चबूतरे के सर्वे के बाद कोर्ट कमिश्नर ने ज्ञानवापी मस्जिद के प्रवेश द्वार को खुलवा कर अंदर जाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, कोर्ट का ऐसा कोई आदेश नहीं है कि बैरिकेडिंग के अंदर जाकर आप उसकी वीडियोग्राफी करें।
ओवैसी ने कहा-खुल रहा मुस्लिम विरोध का रास्ता
इस बीच एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के कुछ इलाकों के सर्वे को लेकर अदालत का हालिया आदेश मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रहा है। उन्होंने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है। उसमें धार्मिक स्थलों के रूपांतरण पर रोक लगाई गई थी।
Published on:
07 May 2022 05:54 pm
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