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ज्ञानवापी प्रकरणः मां शृंगार गौरी केस की पोषणीयता पर सुनवाई आज

ज्ञानवापी प्रकरण में मां शृंगार गौरी केस की पोषणीयता पर आज दोपहर दो बजे से जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई होगी। पिछली तारीख से पहले प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता के निधन के चलते प्रतिवादी ने मांगा था वक्त। हिंदू पक्ष रख चुका है अपना पक्ष अब प्रतिवादी को देना है जवाब।

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वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय मुख्य द्वार

वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय मुख्य द्वार

वाराणसी. ज्ञानवापी प्रकरण में परिसर स्थित मां शृंगार गौरी तथा अन्य देव विग्रहों के नियमित पूजन के संबंध में अगस्त 2021 में दायर याचिका की पोषणीयता पर गुरुवार को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई होगी। इस प्रकरण में वादी हिंदू पक्ष की ओर से अपना पक्ष रखा जा चुका है। अब प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को जवाबी पक्ष रखना है। पिछली तारीख से पहले अंजुमन कमेटी के अधिवक्ता के निधन के चलते सुनवाई टाल दी गई थी।

चार अगस्त को अंजुमन कमेटी ने अदालत से मांगी थी मोहलत

बता दें कि इससे पूर्व गत 4 अगस्त को सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से अपने अधिवक्ता अभय नाथ यादव के निधन की सूचना देते हुए अदालत से मोहलत मांगी थी। कहा था कि वाद से जुड़ी फाइल दिवंगत अधिवक्ता के चेंबर में होने के कारण जवाबी बहस की तैयारी पूरी नहीं हो सकी है। इस पर अदालत ने 18 अगस्त की तिथि नित की थी।

हिंदू पक्ष पेश कर चुका है अपना पक्ष

बता दें कि इस मुकदमे से संबंधित याचिका 18 अगस्त 2021 को राखी सिंह, सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में दायर किया था। मुकदमे की सुनवाई करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराया। सर्वे के दौरान वादी हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मस्जिद के वजूखाने में आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग मिला है। वह एक अहम साक्ष्य है, इसलिए उसे संरक्षित किया जाए। हिंदू पक्ष के दावे पर कोर्ट ने वजूखाने को सील करने का आदेश दिया था। इसी बीच प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वोच्च न्यायालय में सर्वे आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की जिस सर्वोच्च न्यायालय ने मुकदमे की सुनवाई जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने आदेश दिया। कहा कि जिला जज की अदालत तय करेगी मुकदमा सुनवाई योग्य है कि नहीं है।

अंजुमन और हिंदू पक्ष की ओर से पेश किया जा चुका है अपन-अपना पक्ष
इस केस में सबसे पहले अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अपना पक्ष रखा। दलील दी कि क्यों ये मुकदमा सुनने योग्य नहीं। उसके बाद वादी हिंदू पक्ष ने अपनी दलील पेश की। अब अंजुमन को जवाबी पक्ष रखना है।