ज्योतिषीय गणना की मान्यता के अनुसार, चतुर्थी युक्त तृतीया का सौभाग्य वृद्धि में विशेष महत्व है। 02 सितंबर सोमवार को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग तथा सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व की महत्ता को बढ़ाती है। इतना ही नहीं, प्रमाण यह भी मिलता है कि हस्त नक्षत्र में तीज का व्रत खोलना वर्जित है, जबकि रविवार 01 सितंबर को व्रत रखने वाली महिलाओं को 02 सितंबर को भोर में पारण हस्त नक्षत्र में ही करना पड़ेगा, जो शास्त्रों के अनुसार सही नहीं है। यदि 02 सितंबर को हरतालिका तीज व्रत रखा जायेगा तो 03 सितंबर दिन मंगलवार के भोर में चित्रा नक्षत्र में पारण होगा। जो कि सौभाग्य-वृद्धि में सहायक माना गया है। अतः इस हिसाब से हरितालिका तीज व्रत चतुर्थी युक्त तृतीया एवं हस्त नक्षत्र के कारण 02 सितंबर को मनाया जाना ज्यादा उचित रहेगा।
शुभ मुहूर्त
जो व्रती 1 सितंबर को हरतालिका तीज का व्रत रख रहे हैं उनके लिए पूजन का शुभ मुहूर्त शाम में 6 बजकर 15 मिनट से शुरु होकर 8 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। और जो 2 सितंबर को व्रत रख रहे हैं उन्हें सूर्योदय से 2 घंटे के अंदर ही तीज का पूजन कर लेना होगा। क्योंकि इनके पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक है।
जो व्रती 1 सितंबर को हरतालिका तीज का व्रत रख रहे हैं उनके लिए पूजन का शुभ मुहूर्त शाम में 6 बजकर 15 मिनट से शुरु होकर 8 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। और जो 2 सितंबर को व्रत रख रहे हैं उन्हें सूर्योदय से 2 घंटे के अंदर ही तीज का पूजन कर लेना होगा। क्योंकि इनके पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक है।