
Cervical cancer
वाराणसी. भारत की महिला स्तन कैंसर के बाद सबसे अधिक गर्भाशय कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) से पीडि़त हो रही है। आम भाषा में सर्वाइकल कैंसर को बच्चेदानी के मुुंह का भी कैंसर कहते हैं। स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी के प्रति महिलाओं को जागरूक करने के लिए अभियान चला रहा है। 9 से 14 साल की किशोरी को नि:शुल्क हयूमन पेपीलोमा वायरस (एसपीवी) नि:शुल्क लगायी जा रही है, जिससे बीमारी से बचा जा सके। यह टीका लगाने के बाद छह माह बाद दूसरा टीका लगाया जाता है।
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दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय स्थित सम्पूर्ण क्लीनिक की मेडिकल ऑफिसर डा.जान्हवी सिंह ने बताया कि अस्पताल में वर्ष 2015 से सर्वाइकल कैंसर की प्रारंभिक अवस्था की स्क्रीनिंग एंव वीआईए विधि से दो मिनट में ही सुरक्षित व सरल विधि से जांच की जा रही है। नौ जनवरी 2020 तक 23,257 महिलाओं की जांच हो चुकी है। वर्ष 2019 में 4369 महिलाओं की जांच हुई थी, जिसमे 169 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का शुरूआती लक्षण दिखायी दिया था। इसमे से 122 महिलाओं की क्रायोथेरेपी (ठंडी सिकाई) से इलाज किया गया है जबकि नौ महिलाओं को बेहतर इलाज के लिए परामर्श दिया गया है। डा.सिंह ने बताया कि बीमारी से बचाव के लिए 30 से 60 साल आयु की महिलाओं को नियमित जांच करानी चाहिए।
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समय रहते हुई बीमारी की पहचान तो पूर्ण इलाज संभव
डा.जान्हवी सिंह ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर का पता समय से लग जाये तो बीमारी का पूर्ण इलाज संभव है। यदि कोई महिला एचपीवी से संक्रमित हो जाती है तो कैंसर बनने में 10 से 20 साल का समय लग सकता है ऐसे में महिलाओं के पास बीमारी का समय से पता लगाने का पर्याप्त समय होता है। उन्होंने कहा कि 30 साल की आयु पार कर चुकी महिलाओं को तीन साल में पैप स्मीयर टेस्ट अवश्य कराना चाहिए।
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इन कारणों से हो सकता है सर्वाइकल कैंसर
डा.जान्हवी सिंह ने बताया कि यह निश्चित नहीं है कि किस महिला में यह कैंसर किस रुप में परिवर्तित हो जायेगा। एचपीवी संक्रमण की वजह से होने वाले सर्वाइकल कैंसर यौन संबंधों के माध्यम से फैलते हैं। लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, कम उम्र में विवाह होना, दो से अधिक बच्चे होना, शारीरिक रुप से कमजोर महिला, शराब व ध्रूमापन का सेवन व एक से अधिक योन संबंध स्थापित करने से यह बीमारी हो सकती है।
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Published on:
15 Jan 2020 07:00 pm
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