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हाईस्कूल पास युवा मूर्तिकार ने बनाई मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा, किया अद्भुत श्रृंगार, अब पूरे प्रदेश में हो रही चर्चा

धर्म की नगरी काशी में पूजा पंडालों का शोर है। कहीं राम मंदिर तो कहीं केदरानाथ धाम तो कहीं बीएचयू का विश्वनाथ मंदिर सज रहा है पर शहर के पंडालों के अंदर सजने वाली भव्य मूर्तियां मूर्तिकारों के हाथों से आकार पा रहीं हैं। इन्ही में से एक खास मूर्ती वाराणसी में हाईस्कूल पास मूर्तिकार बना रहा है।

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High school pass young sculptor made a grand statue of Maa Durga did amazing makeup

Varanasi News

वाराणसी। दुर्गापूजा में मां के लिए काशी में मिनी बंगाल सजाया जाता है। यहां भव्य पंडालों का निर्माण होता है। उसके साथ ही साथ भव्य प्रतिमाओं का भी निर्माण होता है। काशी में कई दुर्गापूजा समिति अपनी प्रतिमा अपने पंडाल में हिन् सजा संवार रहीं है तो काशी में मौजूद बंगाली मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। इसी क्रम में काशी का होनहार मूर्तिकार अपने एक भाई और तीन साथियों की टीम लेकर शहर की सबसे अद्भुत प्रतिमाओं को सजाने सवारने में लगा हुआ है। हम बात कर रहे हैं हाईस्कूल पास खोजवां निवासी शीतल चौरसिया की। शीतल अपनी टीम के साथ पिछले दो महीने मां की एक अद्भुत कलाकृति को सजाने सवारने में लगे हैं। पेश है patrika.com की खास रिपोर्ट...

क्या सोचा है कभी मेवे से बन सकता है कपड़ा

काशी में खोजवां इलाके में शीतल चौरासिया अपने छोटे भाई प्रद्युम चौरसिया, अभिषेक चौधरी, सनी, निक्की और 7 साल के आयुष के साथ पिछले दो महीने से दिन रात मेहनत कर प्रदेश की सबसे यूनिक प्रतिमा बनाने में लगे हुए हैं। शीतल हाईस्कूल पास हैं। उसके बाद उनकी स्थिति उन्हें पढ़ने के लिए आगे नहीं बढ़ा पाई, जिसके बाद उन्होंने अपने हुनर को मिट्टी पर उकेरना शुरू कर दिया। इस वर्ष उनके मूर्तिघर में मेवे से सुसज्जित मां दुर्गा की मूर्ती खास है जिसमें मां के श्रृंगार के साथ ही साथ उनका वस्त्र भी मेवों से बनाया गया है जिसमें किशमिश, काजू, बादाम, कमला गट्टा और सफेद तिल का इस्तेमाल किया है।

हर साल करते हैं यूनिक प्रयोग

शीतल ने patrika.com को बताया कि वो हर साल एक खास मूर्ती मां की तैयार करते हैं। इसी क्रम में इस वर्ष हमने दो मूर्तियां एक मेवे की और एक पुआल की बनाना शुरू की। अभी मूर्तियों का आकार स्वरुप पूरा हो गया है पर अभी भी साज श्रृंगार बाकी है। अभी तक मूर्तियों में 70 किलो से अधिक पंचमेवे का इस्तेमाल किया जा चुका है। इस कार्य में भाई और मेरे साथी और छोटा आयुष मदद करता है।

दस साल से लगातार बना रहे हैं यूनिक मूर्तियां
शीतल ने बताया कि इस प्रतिमा में काजू का इस्तेमाल जैसे बनारसी साड़ी में गोटे और कशीदाकारी की जाती है। उसी रूप में उसका इस्तेमाल हुआ है। किशमिश का इस्तेमाल मेन कपड़ा बनाने में हुआ है। सिर्फ मां ही नहीं उनकी सवारी शेर, असुर महिषासुर, कार्तिकेय, गणेश जी और सरस्वती मां की मूर्ती भी मेवे से ही बनाई जा रही है। इसके पहले तांबे के तार, दालों से मां की मूर्तियां तैयार की जा सकती है।

पुआल से बनाई है प्रतिमा

शीतल ने बताया कि इसके अलावा इस वर्ष पुआल से और किरकिरी से भी प्रतिमा को रूप दिया गया है। प्रतिमाएं बनारस शहर के ही विभिन्न पंडालों में स्थापित की जाएगी। यह पंडाल कौन है इसका रहस्य बरकरार रहे इसलिए शीतल ने पंडालों का नाम नहीं छापने की बात कही है। फिलहाल काशी की ये पंचमेवे की मूर्ती काशी ही नहीं प्रदेश में इस समय चर्चा का विषय बन गयी है।