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IIT BHU के वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा चमत्कारी हर्बल मलहम जिससे जल्द भरेंगे घाव, नहीं होगी प्रत्यारोपण की जरूरत

IIT BHU के स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा मलहम तैयार किया है जो पूरी तरह से प्राकृतिक है और इससे किसी तरह के घाव जल्द सूखते हैं। साथ ही घाव वाले स्थानी चमड़ी बहुत जल्द सामान्य हो जाती है क्योंकि स्किन फार्मेशन में सहायक कोशिकाओं का ग्रो तेजी से होता है। तो जानते हैं इस नए प्राकृतिक मलहम के बारे में विस्तार से...

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आईआर्ईटी बीेचयू के प्रो संजीव महतो व शोध छात्रा नीलिमा

आईआर्ईटी बीेचयू के प्रो संजीव महतो व शोध छात्रा नीलिमा

वाराणसी. आईआईटी बीएचयू के स्कूल आफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के असोसिएट प्रोफेसर डॉ संजीव महतो और उनके शोध विद्यार्थियों ने एक ऐसा हर्बल पेस्ट तैयार किया है जो त्वचा के किसी तरह के घाव को ठीक करेगा। स्किन सर्जरी में भी काम आएगा। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। इस मलहम का प्रयोग न केवल चूहों पर बल्कि इंसानी चमड़े के घाव पर भी किया जा चुका है। ये शोध इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हो चुका है। साथ ही इसे पेटेंट कराने की औपचारिकता भी पूरी कर ली गई है।

सोया प्रोटीन और हाइड्रो जेल से तैयार किया गया मलहम

स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर संजीव महतो ने पत्रिका संग बातचीत में बताया कि ये मलहम सोया प्रोटीन के नैनो फैब्रिक की पतली सतह और हाइड्रो जेल की मदद से एक "पैच" तैयार कर ये मलहम तैयार किया गया है। कहा कि ये मलहम ऐसा है जिससे किसी तरह का घाव हो और उससे रक्तश्राव हो रहा हो या मवाद (पस) निकल रहा हो उसे सोख लेता है। साथ ही स्किन टिशु विकसित करेगा जिससे घाव जल्द सूखता है।

सोया प्रोटीन कण घावों को सुखाने में हैं कारगर, कैंसर सेल्स का ग्रोथ भी रोकता है

प्रो महतों ने बताया कि दरअसल सोया प्रोटीन कण घावों को भरने और घाव वाली जगह पर नई स्किन ग्रो करने में मददगार होते हैं। ये इसकी प्रापर्टी है। ये स्किन सर्जरी में भी सहायक है। किसी स्किन संबंधी सर्जरी में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इतना ही नहीं ये, अनियंत्रित कैंसर सेल्स को भी नियंत्रित करते हैं। इससे कैंसर सेल का ग्रोथ रुक जाता है।

मलहम अन्य किसी केमिकल अथवा जैविक मलहम से कई गुना ज्यादा प्रभावी

प्रो महतो ने बताया कि इसका प्रयोग प्रायोगिक कार्यों के लिए बाजार में मौजूद मानवीय त्वचा की कोशिकाओं, मेलानोसाइट्स, कीरोटेनोसाइट्स व फाइब्रोब्लास्ट (तीनों त्वचा की विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं हैं) पर किया तो देखने को मिला कि इस मलहम के पैच के प्रभाव में आईं कोशिकाएं काफी तेजी से ग्रो कर रही हैं। साथ ही कोशिका समूह का निर्माण भी कर रही हैं। खास बात ये कि ये पूरी तरह प्राकृतिक है। उन्होंने बताया कि ये मलहम अन्य किसी केमिकल अथवा जैविक मलहम से कई गुना ज्यादा प्रभावी है।

यह शोध स्किन सर्जरी तथा प्रत्यारोपण के क्षेत्र में नई क्रांति ला सकता है।

इंसान के चमड़ों व चूहों पर सफल रहा प्रयोग

बताया कि इसका प्रयोग इंसानी चमड़ी और चूहों पर किया गया जो सफल रहा। इसके बाद इस अंतर्राष्ट्रीय जनरल (अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के प्रतिष्ठित जर्नल अप्लाइड मैटेरियल्स एंड इंटर फेजेज व इंटरनेशनल जर्नल आफ बायोलाजिकल माइक्रोमालीक्यल्स) में प्रकाशित कराया गया। साथ ही पेंटेंट की औपचारिकता भी पूरी कर ली गई है।

नीलिमा वार्षणेय व दो अन्य विद्यार्थियों ने किया है काम
प्रो महतो ने बताया कि इस शोध पर नीलिमा वार्षणेय ने काम किया है और उनका सहयोग अजय शाही और सुरुचि पोद्दार ने किया है।

इसबगोल पैच भी घावो को भरता है और कोशिकाओं की वृद्धि करता है

प्रो महतो ने बताया कि सोया प्रोटीन के अलावा इसबगोल का भी पेस्ट बनाया गया है। इसबगोल भी घावों की हीलिंग काफी मददागर होता है। साथ ही इसका पैच भी स्किल सेल को बढ़ाता है।