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आयुष विभाग की नई पहलः पहले क्षेत्रवार पता लगाएंगे कहां किस रोग का है प्रभाव, फिर होगा इलाज

उत्तर प्रदेश आयुष विभाग ने एक नई पहल की है जिसके तहत अब राज्य में आयुर्वेद को ज्यादा प्रभावशाली और वैज्ञानिक बनाया जाएगा। हालांकि इसमें प्रदेश भ के आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े अधिकारी और चिकित्सक लगेंगे। इन सबके सहयोग से एक डाटा बैंक तैयार किया जाएगा जिसके जरिए ये पता लग सकेगा कि प्रदेश के किस क्षेत्र में किस तरह के रगियों की तादाद ज्यादा है और उन्हें क्या दवा दी जा रही है। इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी काशी बीएचयू के आयुर्वेद संकाय को सौपी गई है।

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय का आयुर्वेद संकाय

काशी हिंदू विश्वविद्यालय का आयुर्वेद संकाय

वाराणसी. देश की अति प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को और प्रभावशाली और वैज्ञानिक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश शासन, खास तौर पर आयुष विभाग ने नई पहल की है। इसके तहत राज्य के विभन्न क्षेत्रों से ये पता लगाया जाएगा कि कहां किस तरह के रोग की अधिकता है और लोग किन तरह की दवाओं का सेवन कर रहे हैं तथा उससे उन्हें कितना लाभ हो रहा है। इस प्रश्नावली के आधार पर आयुर्वेद चिकित्सा का डाटा बैक तैयार होगा और फिर उस डाटा के आधार पर लोगों का इलाज किया जाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय को दी गई है। इस पर प्रोजेक्ट के तहत प्रश्नावली तैयार करने का पहला चरण पूरा हो चुका है। अब विशेषज्ञों द्वारा तैयार इस प्रश्नावली के प्रारूप को बहुत जल्द आयुष विभाग को भेजा जाएगा ताकि इसमें आयुर्वेद विभाग व अन्य चिकित्साधिकारियों को लगा कर डाटा बेस तैयार किया जाए।

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की पहल पर बना पायलट प्रोजेक्ट

इस संबंध में आयुर्वेद संकाय के प्रमुख प्रो केएन द्विवेदी ने पत्रिका संग खास बातचीत में बताया कि दरअसल इसकी शुरूआत इसी साल फरवरी में हुई। बताया कि गत 18 फरवरी को प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र बीएचयू के आयुर्वेद संकाय में आए थे। उन्होंने ही आयुर्वेद को वैज्ञानिक और ज्यादा प्रभावशाली बनाने की सलाह दी। मुख्य सचिव की सलाह पर ही क्रिया शरीर विभाग ने काम शुरू किया। विभाग के सहायक प्रोफेसर सुशील दुबे के नेतृत्व में प्रस्ताव तैयार कर पुनः मुख्य सचिव से मुलाकात की गई और वो प्रस्ताव से प्रभावित हुए, उसके साथ ही संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो यामिनी भूषण त्रिपाठी के निर्देशन में काम शुरू किया गया है। प्रो द्विवेदी ने बताया कि गत 30 अप्रैल को संकाय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी से पूर्व प्रश्नावली तैयार की गई जिसका प्रशिक्षण गोष्ठी में आए चिकित्सकों और चिकित्सा अधिकारियों को दी गई।

बीमार, बीमारी और इलाज का तैयार करेंगे डाटा बैक

इस पायलट प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी संभाल रहे क्रिया शरीर विभाग के सहायक प्रोफेसर सुशील दुबे ने पत्रिका को बताया कि महज तीन महीने की मेहनत के बाद प्रश्नावली तैयार की गई है। अब इसे आयुष विभाग की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। प्रो दुबे ने बताया कि इस प्रश्नावली के जरिए ये जानने का प्रयास होगा कि राज्य के किस क्षेत्र में किस तरह के रोगियों की तादाद ज्यादा है और उनका इलाज कैसे किया जा रहा है, क्या दवाएं दी जा रही हैं।

डाटा के आधार पर होगा बिमारियों का निदान
उन्होंने बताया कि अभी एक दिन पहले ही वो भदोही के एक स्वास्थ्य शिविर में गए थे जहां ये देखने को मिला कि वहां चर्म रोग, एलर्जी और सांस की बीमारी से ज्यादा लोग पीड़ित हैं। इसी तरह से पूरे प्रदेश भर में सर्वे कर डाटा बेस तैयार होगा। इसके तहत आयुर्वेद चिकित्सकों के पास आने वाले मरीजों का डाटा बैंक तैयार होगा। मरीज का मोबाइल नंबर नोट कर उनसे सातवें दिन और पंद्रहवें दिन पुनः संपर्क कर यह जानने की कोशिश की जाएगी कि कितना लाभ हुआ। इस तरह के डाटा बैंक से ये पता चल सकेगा कि कहां किस तरह की बीमारी हो रही है। बीमारी का पता लगने के बाद उसका आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से निदान किया जाएगा।

ये है आयुर्वेद को इजी टू यूज बनाने की मुहिम

प्रो दुबे ने बताया कि प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की सलाह पर आयुर्वेद को "इजी टू यूज" यानी प्रयोग में सरल-सुगम और वैज्ञानिक बनाने का प्रयास है। बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट से प्रदेश भर के चार-साढ़े चार हजार चिकित्साधिकारियों को जोड़ा जाएगा ताकि राज्य भर से डाटा एकत्र हो सके। साथ ही करीब तीन-साढ़े तीन सौ आयुर्वेदिक चिकित्सकों को भी लगाया जाएगा।

आयुर्वेद की विश्वसनीयता और श्रेष्ठता साबित करने का बेहतर मौका

उन्होंने बताया कि कोरोना काल में ही हर तरफ से आयुर्वेद चिकित्सा को महत्व दिया गया। लेकिन हमारे लोगों के पास ऐसा कोई डाटा नहीं है जिससे हम ये प्रमाणित कर सकें कि आयुर्वेदिक चिकित्सा से कितने कोरोना रोगी स्वस्थ हुए। अब ये डाटा बैंक तैयार होने के बाद हम अपनी श्रेष्ठता और विश्वसनीयता को भी साबित कर पाएंगे।