दरअसल, डॉ. सोनेलाल पटेल कभी कांशीराम के करीबी माने जाते थे, जब बसपा पर मायावती का आधिपत्य हुआ तो सोनेलाल पटेल ने बसपा को टक्कर देने के लिए अपना दल का गठन किया। उनका उद्देश्य था कि वे जमीनी लोगों के लिए राजनीति करें। इसके लिए उन्होंने संघर्ष भी किया। पूर्वांचल में पार्टी को मजबूत करने के लिए वे प्रयासरत रहे। अपने जीवन काल में कभी चुनाव न जीतने वाले सोनेला पटेल की पसंदीदा सीट वाराणसी की कोलअसला थी, जो बाद में दो विधानसभा क्षेत्रों रोहनिया और पिण्डरा में बंट गई। डॉ. सोनेलाल पटेल को वर्तमान कांग्रेस विधायक अजय राय जो उस समय में भाजपा के चेहरे थे ने दो बार शिकस्त दी।