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वाराणसी

बनारस में देश का ऐसा पहला एयरपोर्ट, जहां रनवे के नीचे से निकलेगा हाईवे

International Civil Aviation Day स्पेशल
भारत का पहला ‘Runway Over the Highway’
बनेगी साढ़े छह सौ मीटर की टनल
टनल से गुजरेगा नेशनल हाइवे
उसके उपर से उड़ान भरेगा प्लेन

वाराणसीDec 07, 2020 / 09:42 pm

रफतउद्दीन फरीद

airport

प्रतीकात्मक फाेेेेेेेेेटो

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

वाराणसी. ऊपर हवाई पट्टी से जहाज उड़ान भरेंगे और उसके ठीक नीचे हाइवे से गाडि़यां फर्राटा भरेंगीं। वाराणसी का बाबतपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश का पहला ‘रनवे ओवर द हाइवे’ एयरपोर्ट होगा। इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रनवे के नीचे से 650 मीटर की टनल से नेशनल हाइवे गुजरेगा। एयरपोर्ट अथाॅरिटी ऑफ इंडिया इसके लिये 2018 में ही परिमशन दे चुकी है। इसके बन जाने के बाद हवाई अड्डेे का रनवे 2743 मीटर से बढ़कर 4075 मीटर लंबा हो जाएगा, जिसके बाद यहां बोइंग और बड़े मालवाहक विमान आसानी से उतारे जा सकेंगे। दुनिया में जिब्राल्टर और जर्मनी के लिपजिंग हाल्लेे एयरपोर्ट ‘रनवे ओवर द हाइवे’ (Runway Over the Highway) के लिये मशहूर हैं।


वाराणसी एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के इस प्रोजेक्ट की कवायद तेजी से जारी है। इसे बनाने के लिये 593.77 एकड़ जमीनों का अधिग्रहण चार चरणों में किया जाना है। 350 एकड़ की भूमि पहले चरण में अधिग्रहित की जाएगी जिसे रनवे विस्तार और कुछ दूसरे कामों में लाया जाएगा। इसकी कवायद जारी है और सीमांकन भी हो चुका है। सरकार से हरी झंडी मिलते ही किसानों को मुजावजा देकर जमीनों का अधिग्रहण शुरू किया जाएगा।


क्यों पड़ी ऐसेे रनवे की जरूरत

वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई हड्डा देश के इंटरनेशनल एयरपोर्ट में से एक हैं। यहां से कई देशों के लिये विमान उड़ान भरते हैं। पर इसके रनवे विस्तार की योजना वर्षों से इसलिये अटकी थी क्योंकि रनवे के एक ओर रेलवे लाइन है तो दूसरी ओर राष्ट्रीय राजमार्ग। नेशनल हाइवे, एयरपोर्ट अथाॅरिटी ऑफ इंडिया, उड्डयन मंत्रालय आदि बैठक रनवे ओवर द हाइवे बनाने का निर्णय लिया। इसके तहत उपर रनवे बनाया जाएगा। और उसके नीचे लंबी सुरंग बनाकर उसमें से नेशनल हाइवे गुजारा जाएगा।


अंग्रेजों ने बनाई थी बनारस में हवाई पट्टी

वाराणसी में हवाईपट्टी का निर्माण ब्रिटिश हुकूमत में ही हो गया था, लेकिन तब इसका इस्तेमाल सीमित था। जानकारों की मानें तो यहां दो हवाई पट्टी थी, जो अब उपयोग में नहीं है। अंग्रेजी सेना की टुकड़ी और कुछ अधिकारी यहां रहा करते थे। कभी-कभी बड़े अंग्रेज हाकिमों के जहाज भी यहां उतरते थे। बाद में अंग्रेजों के जाने के बाद 633.77 एकड़ पर 1953 में नया एयरपोर्ट बना।

 

एक नजर में वाराणसी एयरपोर्ट

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