तीसरी निशा की कड़ी को आगे बढ़ाया लखनऊ की सुरभि सिंह ने। उन्होंने लखनऊ घराने के अंदाज का कथक पेश करते हुए शुरुआत उपज अंग से की। उपज अंग के तहत तबला और घुंघरू के बीच के सामंजस्य को लयकारी के साथ दिखाया जाता है। वह अपनी इस प्रस्तुति में दर्शकों को जोड़ने में सफल रहीं। वैसे भी कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि मैं यहां परीक्षा देने आई हूं। इस दरबार में मेरी हाजिरी है दर्शकों पर निर्भर है कि परीक्षा परिणाम क्या होगा। कार्यक्रम जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया वैसे वैसे दर्शकों की ओर से प्रशंसा के रूप में अंक दिए जाते रहे। भगवान शंकर और मां काली के रूपों पर आधारित भाव नृत्य की प्रस्तुति के उपरांत उन्होंने मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो रचना पर बाल मुद्राओं की विविधता दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत दी।
इसके बाद गीतकार जावेद ने मंच संभाला। उन्होंने मंच से एकता, शांति और प्रेम के संदेश को आम जन तक पहुंचाया तो वहीं कुछ कविताओं के माध्यम से दर्शकों से रूबरू हुए। अगली कड़ी में पं. हरिप्रसाद चौररिसा ने जब बांसुरी की तान छेड़ी तो हर कोई अपलक, शांतचित्त होकर बस सुनता ही रहा। उन्होंने राग विहाग में रुपक से कार्यक्रम शुरू किया। तीन ताल में बंदिश पेश करने के बाद वह श्रोताओं की ओर मुखातिब थे। श्रोताओं की मांग पर उन्होंने एक से बढ़कर प्रस्तुतियां दीं। उनके साथ तबले पर विजय घाटे, बांसुरी पर विवेक सोनार और देवप्रिय ने संगत की।
समारोह की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मध्य रात्रि के बाद नवनीता चौधरी गायन के लिए मंच संभाली उसके बाद मोइनुद्दीन खा सारंगी, मोमिन खां और अकरम खान की जोड़ी ने जबरदस्त समा बांधा। उनके बाद विदुषी शुभ्रा गुहा गायन से श्रोताओं को माया पॉश में बांधी रही। उनके बाद पं. नरेंद्र नाथ धर के सरोद से तीसरी निशा के कार्यक्रम को विश्राम दिया।
उस्ताद अफजाल हजूर वायलिन
नलनी निगम गायन अतुल शंकर बांसुरी 2. प्रशांत समाधार गायन मुंबई
देवप्रिया बांसुरी मुंबई
फजल कुरैशी तबला मुंबई
उस्ताद मोइनुद्दीन खां सारंगी जयपुर 4. नीलाद्रि कुमार सितार मुम्बई
विजय घाटे तबला पुणे
5. पीयू मुखर्जी गायन कोलकाता
पं. कुबेरनाथ मिश्र तबला वाराणसी
पंडित धर्म नाथ मिश्र हारमोनियम वाराणसी
पं. संजू सहाय तबला वाराणसी 7. पंडित विजय घाटे तबला पुणे
पंडित श्रीधर पार्थसारथी मृदंगम
शीतल कोलवलकर गायन
तन्मय हारमोनियम
नागेश गायन 8. डॉक्टर अश्विन महेश दलवी सुरबहार जयपुर
अंकित पारीख पखावज वाराणसी