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जयंती विशेष: महामना और बनारस से नेहरू जी का था गहरा नाता, शताब्दी समारोह में दिया था यादगार भाषण

महामना मदन मोहन मालवीय और नेहरू जी के पिता मोतीलाल नेहरू अच्छे मित्र हुआ करते थे। मोतीलाल अक्सर बनारस आते और महामना भी उनके घर आते थे। ऐसे में नेहरू जी और महामना का स्नेहा का रिश्ता था तो जो बीएचयू के निर्माण के बाद और प्रगाढ़ हुआ हुआ और बनारस और महामना के पास 1910 से 1961 तक जवाहर लाल नेहरू लगातार बनारस आए।

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Pandit Nehru used to come to BHU to inspire the youth

युवाओं को प्रेरित करने BHU आते थे पंडित नेहरू

वाराणसी। पूरा देश आज अपने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु को उनकी 134वीं जयंती पर याद कर रहा है। पूरे देश में तरह-तरह के आयोजन किए गए हैं। वहीं पूरा देश आज इस दिन को बाल दिवस के रूप में मना रहा है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री का नाता काशी और बीएचयू से बहुत ही प्रगाढ़ था। महामना मदन मोहन मालवीय की उनके पिता मोतीलाल नेहरू से मित्रता थी ऐसे में उनका नेहरू जी से स्नेह का रिश्ता था और नेहरू जी साल 1910 के बाद से लगातार काशी आये और बीएचयू के कई कार्यक्रमों में शिरकत की। रुइया हास्टल में दिए गए ओजस्वी भाषण के बारे में बीएचयू के प्रोफेसर आज भी छात्रों को बताते हैं।

1910 में पहली बार आए थे काशी

देश के प्रथम प्रधानमंत्री और बच्चों में चाचा नेहरू के रूप में प्रसिद्ध पंडित जवाहर लाल नेहरू काशी में कभी राजनेता, कभी छात्र तो कभी मेहमान और मेजबान बनकर भी पहुंचे। साल 1910 में पहले बार उन्होंने बनारस का रुख किया था। पिता मोतीलाल नेहरू के साथ वो वाराणसी आए और महामना से मुलकात की थी। इसके बाद साल 1921 में काशी विद्यापीठ के स्थापना समारोह में महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू के साथ जवाहर लाल नेहरू ने भी समारोह में शिरकत की थी।

तय हो चुकी है भारत की आजादी

बीएचयू के राजनीति विभाग के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर ने बताया कि साल 1942 में नेहरू जी ने रुइया हास्टल मैदान में छात्रों के सामने ओजस्वी भाषण दिया था। इस भाषण का असर छात्रों पर पड़ा और उन्होंने आजादी के संग्राम को और धार दी। साल 1946 में नेहरू जी एक बार फिर काशी आये और अस्वस्थ महामना के साथ घंटों बिताए और उन्हें बताया कि छात्र शक्ति के बल पर हम जल्द ही आजाद होने जा रहे हैं।

काशी राज परिवार से थे प्रगाढ़ संबंध

देश आजाद होने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने और उसके बाद कई बार वो प्रधानमंत्री के रूप में भी काशी आए। काशी राजा परिवार से भी उनके अच्छे संबंध था। वो जब भी काशी आए तो नदेसर पैलेस में रुके। उनके द्वारा विजिटर डायरी में साल 1950 और 1952 में लिखे गए सन्देश को नदेसर पैलेस में फ्रेम करवाकर लगवाया गया है।

महामना के शताब्दी समारोह में दिया था यादगार भाषण

महमना मदन मोहन मालवीय का देहावसान हुआ तो पूरा देश मर्माहत था। उनके निधन के बाद 15 नवंबर 1946 को बनारस के प्रमुख समाचार पत्रों में उन्हें मार्मिक सन्देश छपवाया था, जिसमें लिखा था 'हमें अत्यंत शोक है कि अब हम उज्जवल नक्षत्र का दर्शन नहीं कर सकेंगे, जिसने हमारे जीवन में प्रकाश दिया और बाल्यकाल से ही भारत से प्रेम करने की शिक्षा दी।' महमना की 100 जयंती पर आयोजित शताब्दी समारोह में भी जवाहर लाल नेहरू ने शिरकत की थी और यादगार भाषण दिया था।