
karaha pooja
वाराणसी. इसे आस्था कहे या फिर अंधविश्वास। मां भगवती को खुश करने के लिए भक्त खौलते खीर से स्नान करते हैं। नवरात्र में जैतपुरा स्थित बागेश्वरी देवी दुर्गा मंदिर में कड़ाहा पूजा का आयोजन किया जाता है। जहां पर पूजा के नाम पर लोग अपनी जान तक जोखिम में डाल देते हैं। पूजा को लेकर आयोजको का अपना तर्क होता है। उनका कहना होता है कि विश्व व समाज के कल्याण के लिए यह पूजा करायी जाती है। यादव समाज के लोग प्रभु श्रीकृष्ण व उनके भाई बलदाऊ को खुश करने के लिए यह पूजा की जाती है। पूजा के दौरान सुरक्षा मानको का जरा भी ध्यान नहीं रखा जाता है, जिसके चलते कभी अप्रिय घटना भी हो सकती है।
नवरात्र के चौथे दिन की जाती है पूजा
नवरात्र के चौथे दिन यह पूजा की जाती है। आयोजको का कहना है कि जिस तरह से भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन उठा कर अपनी लीला दिखायी थी उसी तरह यह पूजा भी होती है। आरती के साथ अनुष्ठान की शुरूआत की जाती है। मंदिर में चारो तरफ ढोल-नगाड़े बजते रहते हैं। ठंड पानी से स्नान करन के बाद पुजारी घौलते घी से पुडिया निकाल कर सभी को प्रसाद के रुप में वितरित करता है। इसके बाद जहां पर खीर को खौलाया जाता है वहां पर पुजारी जाकर प्रणाम करता है फिर खौलता हुआ खीर अपने व दूसरों के शरीर पर डालता है। इसे संजोग कहा जाये या फिर कुछ और कि खौलता हुआ खीर डालने के बाद भी पुजारी के शरीर पर किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। पूजा के आयोजक अशोक यादव बताते हैं कि भगवान का प्रसाद होने के चलते खौलते खीर से शरीर को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। कढ़ाहा पूजन में आये श्रद्धालु इसे माता की पूजा मानते हैं। पूजा में माता खुद आती है और साक्षात शक्ति देती है। पूजा के तरीके पर हमेशा ही सवाल उठते रहे हैं। जिला प्रशासन भी इस पूजा को लेकर किसी तरह की जानकारी नहीं रखता है।
Published on:
09 Apr 2019 04:50 pm
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