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करवाचौथ: सिर्फ पति ही नहीं इनके लिए भी रख सकते हैं ये व्रत

सुहागन स्त्रियां श्रद्धा और विश्वास के साथ रखती हैं ये व्रत, मान्यता है कि इससे पति की उम्र लंबी होती है

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Karwa Chauth

करवा चौथ

वाराणसी. हिंदू धर्म में कई ऐसे त्योहार हैं जो रिश्तों की गहराइयों और उसके अर्थ से हमें परिचित करवाते हैं। करवाचौथ का पर्व भी उन्हीं त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 8 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह त्योहार सुहाग और सौभाग्य का व्रत माना जाता है। इसलिए सुहागन स्त्रियां श्रद्धा और विश्वास के साथ यह व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इससे पति की उम्र लंबी होती है। लेकिन परंपरा से एक कदम आगे बढ़कर अब प्रेमिकाएं भी अपने प्रेमी को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत रखने लगी हैं। मान्यता है कि इस व्रत में विवाहिता विवाह में ओढ़ी गई चुनरी ही ओढ़ती है।

स्त्रियों के सोलह-श्रृंगार का है खास महत्व
इस पर्व पर विवाहित स्त्रियों के लिए श्रृंगार का खास महत्व माना गया है। सभी व्रती स्त्रियां पारम्परिक रूप से सजती हैं और साथ ही विवाह में ओढ़ी गई चुनरी ओढ़ती हैं। रात में चांद निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखकर चंद्रमा को अर्घ्य देने और पूजा करने का विधान है।

मायके के करवे से शुरू होता है पहले करवाचौथ का व्रत
जिस साल लड़की की शादी होती है उस साल उसके मायके से व्रत और पूजा का पारम्परिक सामान आता है। लड़की मायके के ही सामान से अपना व्रत शुरु करती है। सामान में चीनी के करवे, वस्त्र, पैसे, बर्तन, पति के लिए वस्त्र और पीतल या चांदी का करवा जरूरी होता है। यह करवा बयाना के लिए आता है।

बायना का महत्त्व
मां को अपने बेटी के घर बायना जरूर भेजना चाहिए। जिस तरह सास अपनी बहु को सरगी देने का रस्म निभाती है ठीक उसी तरह शाम को चौथ माता की पूजा शुरू होने से पहले अपनी बेटी के घर कुछ मिठाइयां, तोहफे और ड्राई फ्रूट्स भेजे जाते हैं। जिसे बयाना कहा जाता है। बयाना पूजा शुरू होने से पहले ही लड़की के पास पहुंचाना जरूरी होता है।

सासु मां भी अपनी बहु को सुहाग का सामान जैसे मीठा, कपड़े देती हैं । करवा चौथ के दिन सूर्योदय होने से पहले सुबह लगभग चार बजे के आस-पास महिलाएं इस सरगी खाकर अपने व्रत की शुरुआत करती हैं, फिर पूरे दिन पूरी श्रद्धा के साथ इस पवित्र व्रत को पति की लम्बी उम्र के लिए करती हैं। चांद निकलने पर पूजा -अर्चना करने के बाद व्रत खोल जाता हैं ।


करवाचौथ पर लाल रंग का महत्व
करवाचौथ पर लाल रंग की साड़ी या लहंगा पहनना चाहिए । क्योकि लाल रंग का सम्बन्ध वैवाहिक जीवन से होता है लाल रंग जीवन में ख़ुशहाली लाता है । इस ख़ास दिन में अगर किसी कारण बस नए वस्त्र नहीं हैं तो अपनी शादी का जोड़ा पहनकर व्रत कर सकते हैं।

शुभ मुहूर्त
करवा चौथ पूजा का समय शाम 5:54 बजे।
करवा चौथ पूजा करने का समय शाम 7:09 बजे
चंद्रोदय का समय शाम 08:11 बजे होगा