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354 साल पुरानी है काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद की लड़ाई, कब हुई थी पहली सुनवाई?

काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद अयोध्‍या के राम मंदिर और बाबरी मस्जिद जैसा ही है। क्या आपको पता है कि ये विवाद 354 सालों से चला आ रहा है?

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gyanvapi controversy

आए दिन ज्ञानवापी मामले को लेकर नई-नई खबरें आती रहती हैं। इसी सिलसिले में वाराणसी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट ने एक नई अर्जी दाखिल की गई। इस अर्जी में वजूखाने में कथित रूप से मौजूद शिवलिंग को छोड़कर बाकी हिस्से की ASI जांच कराने की मांग की गई है। फिलहाल, अदालत ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और सुनवाई की अगली तारीख 8 सितंबर तय किया गया है। ऐसे में क्या आपको पता है कि ज्ञानवापी का मुद्दा क्या है? साथ ही, ज्ञानवापी का विवाद कितने सालों से चल रहा है?

IMAGE CREDIT: ये तस्वीर 19वीं सदी में काशी विश्वनाथ मंदिर की है।

क्या है ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ का विवाद?
वाराणसी में मौजूद काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद अयोध्या केस में मिलता-जुलता है। जैसे अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद था, ठीक वैसे ही वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद है।

दरअसल, करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्‍य ने काशी विश्‍वनाथ मंदिर को बनवाया था। काशी विश्‍वनाथ मंदिर से सटा ज्ञानवापी मस्जिद है। हिन्‍दू पक्ष का ये दावा है कि साल 1669 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने मंदिर को तुड़वाकर यहां मस्जिद बनवाया था। उसी मस्जिद को आज ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जानते हैं। हिंदू पक्ष के मुताबिक, ज्ञानवापी के नीचे आदि विश्वेश्वर का ज्योतिर्लिंग मौजूद है।

IMAGE CREDIT: यह तस्वीर काशी विश्वनाथ मंदिर की वर्ष 1929 की है।

कब दाखिल हुआ पहला मुकदमा?
साल 1991 में वाराणसी कोर्ट में काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी केस में पहला मुकदमा दाखिल किया गया। इस याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी गई। कोर्ट में मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद ही सेंट्रल गवर्नमेंट ने पूजा स्थल कानून (Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991)बना दिया। इस कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।

राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मामला उस समय कोर्ट में चल रहा था, इसलिए उस केस को इस कानून से परे रखा गया। इसी कानून का हवाला देते हुए मस्जिद कमेटी ने दाखिल हुई याचिका को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी।

सालों बाद कब चर्चा में आया ये विवाद?
अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी जिला कोर्ट में एक याचिका दाखिल की। इसमें उन्‍होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोज पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की। इसके बाद से ज्ञानवापी को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं। अंत में, 21 जुलाई 2023 को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया।

सर्वे में शिवलिंग मिलने का दावा
हिन्‍दू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है। वहीं, इसे लेकर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फव्‍वारा है, जो हर मस्जिद में होता है। फिलहाल, ASI को अपनी सर्वे रिपोर्ट 2 सितंबर तक कोर्ट में जमा करनी हैं।