
काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर
वाराणसी. काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवाद में मंगलवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में करीब डेढ घंटे तक गर्मा गर्म बहस हुई। इस दौरान वादी और प्रतिवादी की ओर से कोर्ट कमिश्नर को बदलने, मस्जिद के भीतर सर्वे की इजाजत देने का मसला उठा। दोनों पक्षों की ओर से वकीलों ने अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत किया। बहस के दौरान प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कुछ अन्य तथ्य प्रस्तुत करने के लिए बुधवार तक की मोहलत मांगी जिस पर अदालत ने 11 मई तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।
वादी पक्ष ने कहा, कोर्ट कमिश्नर अपना काम सही से कर रहे
इससे पहले सोमवार को अदालत में हुई सुनवाई के दौरान वादी-प्रतिवादी पक्ष और एडवोकेट कमिश्नर ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। वादी पक्ष का कहना था कि एडवोकेट कमिश्नर अपना काम सही से कर रहे हैं और सर्वे का काम बाधित करने के लिए प्रतिवादी झूठे आरोप लगा रहे हैं। ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी और सत्यापन की अनुमति दी जाए। वादी पक्ष की दलीलों पर आज प्रतिवादी पक्ष फिर अपनी दलीलें पेश करेगा। उसके बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी।
काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवाद में नया मोड़
साध्वी पूर्णाम्बा और साध्वी शारदाम्बा ने सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। इन्होंने कहा कि हमारा केस और वर्तमान में चल रहा वाद एक ही प्रकरण है। हमारी मांग है कि हमारे वाद और वर्तमान में चल रहे वाद पर एक साथ सुनवाई की जाए। दोनों साध्वियों के वाद पर कोर्ट ने पहले से ही 6 जुलाई 2022 की तिथि सुनवाई के लिए नियत कर रखी है। लेकिन आज भी कोर्ट ने दोनों साध्वियों के वाद को 6 जुलाई 2022 को ही सुनने का आदेश दिया।
एक से मिलते जुलते केस पर सुनवाई साथ होनी चाहिए
साध्वियों का कहना रहा कि वर्तमान में चल रहे वाद से मिलते जुलते और भी वाद कोर्ट में विचारधीन हैं, जिनकी सुनवाई एक साथ की जानी चाहिए। इसमें वाद रंजना अग्निहोत्री बनाम उत्तर प्रदेश सरकार भी शामिल है। इस संबंध में अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि इसी प्रकार से अन्य और मुकदमे भी दाखिल हैं। जो ज्ञानवापी मस्जिद से ही संबंधित हैं। सभी वादियों ने यही कहा है कि ज्ञानवापी आदिविश्वेश्वर के मंदिर के परिसर का हिस्सा है। पूर्व में यहां नंदी भगवान थे और यहां पूजा-पाठ होता था। हमारी मांग है कि हमें पूजा-पाठ की अनुमति दी जाए। इसलिए दोनों साध्वियों ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर सभी मुकदमों की सुनवाई एक साथ करने की मांग की है। ताकि, जो भी फैसला हो, वह सभी के लिए एक साथ हो। इससे वादियों के साथ ही अदालत के समय की भी बचत होगी।
Published on:
10 May 2022 05:23 pm
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