केशव प्रसाद मौर्य कौशाम्बी जिले के रहने वाले हैं, जो राजा भइया के जिले प्रतापगढ़ पड़ोसी जनपद है। इसी को जोड़कर अब केशव मौर्य राजा भइया को अपना मित्र बता रहे हैं। हालांकि यह मित्रता अभी-अभी हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के नवें प्रत्याशी की जीत के बाद बनी समझ में आ रही है। इस चुनाव में सपा ने बसपा के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को अपने वोट ट्रांसफर किये थे, बावजूद इसके बीजेपी जीत गयी। इस जीत के तुरंत बाद ही मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस कर राजा भइया के खिलाफ बयान दिया था। इसके तुरंत बाद ही अखिलेश यादव ने राजा भइया को शुक्रया वाला टि्वट डिलीट कर दिया था।
इन सब प्रकरणों के बाद अब अखिलेश यादव भी बसपा से गठबंधन की खातिर राजा भइया से दूरी बनाते दिख रहे हैं। यह मौका बीजेपी के लिये मुफीद है। यह भी बता दें कि राजा भइया योगी सरकार बनने के बाद पहले भी मुख्यमंत्री के साथ एक ही मंच पर नजर आ चुके हैं। इसके अलावा राज्यसभा चुनाव में वोट डालने के तुरंत बाद ही वह सीएम योगी से जाकर मिले थे और उनका आशीर्वाद लिया था। इससे अंदाजा लगाया जाने लगा कि उन्होंने बीजेपी को वोट दिया होगा। अब बीजेपी के नेताओं में राजा भइया को अपने पाले में बताने का सिलसिया शुरू हो गया है। दरअसल बीजेपी को यह मालूम है कि राजा भइया की प्रतापगढ़ में अच्छी खासी पकड़ है। इसके अलावा वह क्षत्रियों में भी काफी पॉपुलर हैं। यदि बीजेपी को उनका साथ मिल जाता है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सकता है। अब तक निर्दलीय विधायक बनने वाले राजा भइया की नजदीकी सपा के साथ थी।