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#Once upon a time: जानें उन महादेव को जिन्होंने मृत्यु पर पाई है विजय, स्मरण मात्र से दूर होते हैं असह्य कष्ट

-काशी के उत्तर-पूर्व में स्थित है महामृत्युंजय महादेव मंदिर का विशाल परिसर-इस परिसर में हैं अनेक देव विग्रह-भगवान धनवंतरी का कूप है तो गोस्वामी तुलसी दास द्वारा स्थापित हनुमान जी भी हैं-नागेश्वर महादेव हैं तो स्टांग भैरव का विग्रह भी है-महा कालेश्वर का मंदिर भी है-मां काली और मां लक्ष्मी का भी है विग्रह-विशाल प्रांगण में अनवरत ब्राह्मण करते रहते हैं सिद्ध महामृत्युंजय मंत्र का जप  

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Mahamrityunjaya Temple

Mahamrityunjaya Temple

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी


वाराणसी. भगवान शंकर के अनेक रूप है। अलग-अलग रूप में अलग-अलग महात्म है। फिर काशी तो भगवान शिव की नगरी ही है। यहां तो कण-कण में शंकर विद्यमान है। ऐसे में इस महा तीर्थ काशी के उत्तर-पूर्व में स्थित है महामृत्युंजय महादेव का विशाल मंदिर। वो महामृत्युंजय जिन्हें मृत्यु पर भी विजय हासिल है। ऐसे महादेव का दर्शन तो दूर, स्मरण मात्र से मृत्यु तुल्य कष्ट समाप्त हो जाता है। जो चल-फिर नहीं सकता उसके कानों में महामृत्युंजय नाम जाने मात्र से वह स्वस्थ होने लगता है, बाबा दरबार का चरणामृत जिसके गले से उतर गया वह मृत्यु शैय्या से उठ जाता है। अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाने वाले हैं महामृत्युंजय।

काशी के दारानगर मोहल्ले में स्थित है महामृत्युंजय का मंदिर। मंदिर के महंत पंडित सोमनाथ दीक्षित बताते हैं कि यह हजारों साल पुराना मंदिर है। यहां मृत्युंजय महादेव का विग्रह स्वयंभू है। इसे किसी ने स्थापित नहीं किया है। पहले यहां जंगल था और बाबा का मंदिर भी मड़ई में था। कालांतर में मड़ई से पत्थर का मंदिर बना। फिर दादा जी पंडित केदार नाथ दीक्षित और उनके पिता ने मिल कर यहां गर्भगृह का जीर्णोद्धार कराया। चांदी का दरवाजा लगाया गया। चांदी का अरघा बना। बताया कि दुनिया भर में कहीं भी महामृत्युंजय का दूसरा मंदिर नहीं।

उन्होंने बताया कि इस मंदिर में महामृत्युंजय महादेव का शिवलिंग तो है ही, इस विशाल परिसर में धनवंतरी कूप है जहां भगवान धनवंतरी ने कई जड़ी-बूटियां और औषधियां डाली थीं। इस कूप का जल पीने से पेट रोग से ले कर तमाम तरह के घाव ठीक होते हैं। इसके अलावा अनेक तरह की व्याधियां दूर होती हैं।

इस परिसर के छोर पर अगर महामृत्युंजय है तो दूसरे छोर पर महाकालेश्वर पुत्र रूप में अवस्थित हैं। यहीं नागेश्वर महादेव हैं तो स्टांग भैरव का विग्रह भी है। गोस्वामी तुलसी दास द्वारा स्थापित हनुमान जी का मंदिर है, प्राचीन पीपल का वृक्ष है तो शनिदेव का मंदिर भी है।

पंडित दीक्षित ने बताया कि मंदिर में बड़ा सा गलियारा है जहां ब्राह्मणों का रेला लगा रहता है। अनवरत महमृत्युंजय जप में लीन रहते हैं ये ब्राह्मण। ब्राह्मणों पर महामृत्युंजय महादेव की विशेष कृपा रहती है। तमाम ब्राह्मणों की आजीविका चलती है इस मंदिर से।

उन्होंने बताया कि महादेव के नाम से ही यह पता चलता है कि इन्हें मृत्यु पर विजय हासिल है। जिस किसी को भी मृत्यु का संकट हो या मृत्यु का भय सताता हो, उसके लिए मंदिर परिसर में महामृत्युंजय जप से ही वह मृत्यु तुल्य कष्ट से मुक्ति पा जाता है। ऐसे तमाम उदाहरण हैं कि असाध्य रोग से पीड़ित भक्त उठ कर ख़ड़े हो गए। बाबा का मंत्र और चरणामृत ही पर्याप्त होता है। किसी तरह का रोग हो चरणामृत सेवन से ठीक हो जाता है। बताया कि हर तरह के रोग व्याधियों को दूर करने के साथ सुख-समृद्धि भी प्रदान करते हैं महादेव। पर मृत्यु पर विशेष कमांड है महामृत्युंजय महादेव का।

बाबा का साल भर में चार विशेष श्रृंगार होता है जिसमें महामृत्युंजय के साकार रूप का श्रृंगार सबसे खास होता है। इसमें 8 बाबा की आठ भुजाएं, सिर से चंद्र वर्षा, बगल में बंगला मुखी माता विराजती हैं। बंगला मुखी माता को बाबा के अर्धांगिनी के रूप में मान्यता प्राप्त है। एक हाथ में रुद्राक्ष की माला तो 4 भुजाओं में कलश होता है। यह देदिप्यमान स्वरूप का दर्शऩ अद्भुत होता है।

मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से मन की हर कामना पूरी होती है। कहा जाता है कि यदि कोई भक्त लगातार 40 सोमवार यहां हाजिरी लगाए और त्रिलोचन के इस रूप को फूलों के साथ दूध और जल चढ़ाए तो उसके जीवन से कष्टों का निवारण होना तय है। वाराणसी के महामृत्युंजय मंदिर में भक्त और पंडित निरंतर मंत्रोच्चारण में लगे रहते हैं ताकी महादेव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाया जा सके।

महामृत्युंजय मंदिर में रोज चमत्कार की नई कहानियां लिखी जाती हैं। मंदिर में दिन में 3 बार होने वाली आरती के दर्शन कर भक्त पुण्य के भागी बनते हैं। महादेव के इस मंत्र का जप करने से हर तरह के कष्ट से मुक्ति मिलती है...

ऊं त्रयम्बकम् यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

जब भी इस मंत्र का उच्चारण करें तो शुद्धता का ध्यान रखें। हमेशा शुद्ध उच्चारण ही करें। इस मंत्र के कई प्रकार हैं, लेकिन कोई भी व्यक्ति उपरोक्त मंत्र का जाप करके अपनी मनोकामना पूर्ति कर सकता है।