
पूर्वांचल का वह डॉन जिससे मुख्तार अंसारी-अतीक अहमद भी नहीं लेते दुश्मनी, जेल में बुलाते हैं 'बाबा'
वाराणसी. पूर्वांचल के इलाकों में माफियाओं का इतिहास काफी पुराना रहा है। चाहे सियासत हो, ठेकेदारी हो या किसी तरह का क्राइम हो, पूर्वांचल के माफियाओं का नाम किसी न किसी तरह से शामिल होता है। यूं तो पूर्वांचल में कई माफिया गैंगस्टर हैं लेकिन सुभाष ठाकुर ( Subhash Thakur) उर्फ बाबा को पूर्वांचल का सबसे बड़ा डॉन कहा जाता है। सुभाष ठाकुर वह माफिया है, जिससे मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और अतीक अहमद (Atiq Ahmad) भी पंगा नहीं लेते। फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे सुभाष ठाकुर पर कई मामले दर्ज हैं। कई मामलों में इन्हें दोषी करार किया जा चुका है।
जेल में बने 'बाबा'
सुभाष ठाकुर को बाबा नाम जेल में रहते हुए मिला है। सुभाष ठाकुर आज भले ही जेल की सलाखों के पीछे है, लेकिन उसका नाम पूर्वांचल के सबसे बड़े डॉन में आता है। यहां तक कि यूपी के माफिया डॉन में शुमार मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद तक सुभाष ठाकुर से पंगा लेने से कतराते हैं। मुन्ना बजरंगी भी सुभाष ठाकुर का चरणगोह माना जाता है। कहा जाता है कि किसी भी चुनाव में सुभाष ठाकुर का दखल बहुत मायने रखता है। पूर्वांचल की कई सीटों पर सुभाष ठाकुर का सीधा प्रभाव रहा है।
दाऊद का बना गुरु
90 के दशक के आसपास वाराणसी से मुंबई अपनी किस्मत आजमाने पहुंचे सुभाष ठाकुर ने यहीं से अपराध की दुनिया में कदम रखा था। मुंबई के छोटे-बड़े अपराध करने के बाद वह बड़ी घटनाओं को अंजाम देने लगा। सुभाष ठाकुर बिल्डरों और बड़े कारोबारियों पर शिकंजा कसता था। यहीं से जुर्म की काली दुनिया में सुभाष ठाकुर का दबदबा बढ़ता गया। यही वो वक्त था जब दाऊद इब्राहिम ने सुभाष ठाकुर से मुलाकात की और उसकी शरण में अपना नेटवर्क मजबूत किया। दाऊद इब्राहिम ने सुभाष ठाकुर की शरण में आकर ही अपराधी की दुनिया का पाठ पढ़ा। इसके बाद वह एक कुख्यात गैंगस्टर बन गया और फिर मुंबई का सबसे बड़ा डॉन।
साथ काम करते थे सुभाष ठाकुर, छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम
एक वक्त ऐसा भी आया था जब सुभाष ठाकुर, छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम साथ काम करते थे। इन तीनों का एक ही दुश्मन था और वह था गवली गिरोह। इस गिरोह के शूटरों ने 26 जुलाई, 1992 को दाऊद के बहनोई इस्माइल पारकर की हत्या कर दी थी। इस हत्या का बदला लेने के लिए दाऊद ने सुभाष ठाकुर और छोटा राजन को अपने साथ ले लिया। उसी साल 12 सितंबर को मुंबई के जेजे अस्पताल में गवली के शूटर शैलेश की हत्या कर दी। इस वारदात को खुलेआम अंजाम दिया गया था। खुलेआम शूटआउट होने के कारण यह हत्याकांड उस वक्त काफी सुर्खियों में रहा था।
Published on:
09 Apr 2021 01:26 pm
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