
...तो काशी विश्वनाथ मंदिर महंत परिवार क्यों भड़का रहा था भक्तों को, जानिए बेदखली की पूरी कहानी
वाराणसी. काशी के पुराधिपति बाबा विश्वनाथ की सप्तर्षि आरती से महंत परिवार को पूरी तरह से बेदखल कर दिया गया है। इनके द्वारा कराई जाने वाले इस आरती पर लगी रोक पांच दिन बाद भी जारी है। सप्तर्षि आरती न कर पाने से नाराज अर्चकों ने गुरुवार को ज्ञानवापी के सामने सड़क और ही सप्तर्षि आरती कर पूरे देश में प्रशासन और परिवार के बीच विवाद को जगजाहिर कर दिया था। इन्होंने आरोप लगाया था की मन्दिर प्रशासन एकाधिकार चाहता है। वहीं प्रशासन की तरफ कहा गया था की महंत परिवार से जुड़े लोग बड़ी साजिश कर काशीवासियों को भड़काना चाह रहे थे, जिस कारण इन्हें बेदखल किया गया। जब तक ये लिखित माफी नहीं मांग लेंगे तब तक इनका मन्दिर परिसर में प्रवेश नहीं हो सकेगा।
बता दें की गुरुवार को सड़क पर सप्तर्षि आरती का विवाद पूरी तरह से चर्चा में है। महंत परिवार जहां मन्दिर की 350 साल पुरानी परंपरा तोड़ने का आरोप प्रशासन पर लगा रहा है, तो वहीं मौका मिलते ही प्रशासन ने पूरी तरह से मन्दिर की व्यवस्था को अपने हाथ में लिया। प्रशासन द्वारा नियुक्त अर्चकों से आरती कराई जाने लगी। लेकिन ये विवाद जहां तक पहुंचा कैसे इसकी सत्यता के लिए हमें कुछ पीछे की तकरार को भी खंगालना होगा।
पुनर्वास के लिए दिए 65 लाख रुपये
वैसे तो मन्दिर प्रशासन और महंत परिवार के बीच का झगड़ा सालों पुराना है। पर श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण की प्रक्रिया के साथ ही विवाद भी जमीन पर उतरने लगा। दरअसल इस पूरे विवाद के पीछे काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार का वह मकान है, जो विश्वनाथ मंदिर परिसर के ठीक सामने मौजूद था। जब कॉरिडोर को लेकर काम शुरू हुआ तो इस क्षेत्र में पड़ने वाले सभी मका अधिग्रहित किये जाने लगे। इसमें महंत परिवारों के भी मकान की रजिस्ट्री भी जून 2019 में कई गई। तीन मकानों की रजिस्ट्री के बाद प्रशासन की तरफ से छह करोड़ 20 लाख रुपये का भुगतान महंत परिवारों को किया गया। इसके अलावा नवंबर महीने में प्रशासन ने 65 लाख रूपये पुनर्वास के नाम पर महंत परिवार को दिया। रजिस्ट्री होने और पैसे पा जाने के बाद भी विश्वनाथ मन्दिर परिसर के पास कैलाश मंदिर के निकट स्थित एक कमरे को महंत परिवार ने खाली नहीं किया।
काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह बताते हैं कि लॉकडाउन के बीच जब फिर से कॉरिडोर का काम शुरू हुआ, तो कम्पनी के कर्मचारियों ने कैलाश मन्दिर के निकट इस कमरे को ध्वस्त करना चाहा जो महंत परिवार का था और जिसकी रजिस्ट्री भी जून में हो चुकी थी। बावजूद महंत परिवार इसे छोड़ने को राजी नहीं था। जैसे ही इस कमरे पर बुलडोजर लगाए गए। परिवार की तरफ से हवा उड़ा दी गई की प्रशासन की तरफ से कैलाश मन्दिर के शिखर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इस खबर के फैलने के बाद काशी की जनता आक्रोशित होने लगी।
जानकारी के बाद कमिश्नर और आईजी ने खुद मौका मुआयना किया लेकिन कैलाश मन्दिर से जुड़ी किसी भी क्षतिग्रस्तता की बात सामने नहीं आई। इधर काशी के बुद्धिजीवियों ने भी प्रशासन को फोन कर कहा की अगर परिसर को नुकसान होगा तो हम लॉकडाउन तोड़ कर वहां जमा हो जाएंगे। इसके बाद मन्दिर प्रशासन ने आदेश जारी करते हुए महंत परिवार को अपने किये और लिखित माफी मंगने को कहा। माफी न मांगने पर इन्हें सप्तर्षि आरती और परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दिया गया। प्रशासन ने साफ कहा है की जब तक माफी नहीं मांगेंगे इन्हें अनुमति मिलने का सवाल नहीं है।
छह स्टेट के पुजारियों दी लिखित अर्जी, नहीं मिली अनुमति
बता दें कि राजा महाराजा के समय से ही इस सप्तर्षि आरती में देश के छह अलग अलग राज्यों के पुजारी भी हिस्सा लेते हैं। इनके भी प्रवेश पर रोक लगा दी गई। रोक के बाद इन सभी छह राज्यों के पुजारियों ने मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह को लिखित अर्जी देकर प्रकरण में उनका कोई हाथ न होने की बात कहते हुए, मन्दिर में प्रवेश औऱ बाबा की सप्तर्षि आरती की अनुमति मांगी। लेकिन अभी तक प्रशासन ने इन्हें भी कोई अनुमति नहीं दी है।
Updated on:
12 May 2020 02:04 pm
Published on:
12 May 2020 02:02 pm
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