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UP के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की जेल में गोली मारकर हत्या, जानिये कौन था बजरंगी

यूपी के बागपत जिला जेल में गोली मारकर हुई हत्या, पेशी के लिये झांसी जेल से किया गया था शिफ्ट।

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Munna Bajrangi

मुन्ना बजरंगी

वाराणसी. यूपी के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की बागपत जिला जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गयी है। मुन्ना बजरंगी यूपी के जौनपुर जिले के पुरेदयालपुर गांव का रहने वाला था। बजरंगी इन दिनों जेल में बंद था। कुछ दिनों पहले ही उसकी पत्नी ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर एटीएस पर बजरंगी की हत्या करने की साजिश का आरोप लगाया था। बजरंगी यूपी में बड़े माफिया के रूप में जाना जाता था। बजरंगी बाहुबली मुख्तार अंसारी के खासमखास माने जाते हैं और कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी उनका नाम आया। उनकी हत्या के बाद पूर्वांचल के माफिया जगत में खलबली मच गयी है। जौनपुर में उनकी हत्या की खबर तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। उनके समर्थकों और लोगों का उनके गांव पहंचने का क्रम शुरू हो गया है।


मुन्ना बजरंगी की हत्या में पश्चिमी यूपी और उत्तराखण्ड में सक्रिय सुनील राठी गैंग का हाथ बताया जा रहा है। बजरंगी की हत्या तब हुई है जब उन्हें रंगदारी से जुड़े एक केस में बागपत के कोर्ट में पेश करने के लिये वहां ले जाया गया था। रविवार को ही बजरंगी को झांसी से बागपत शिफ्ट किया गया था।


पत्नी ने जेल में ही हत की जतायी थी आशंका
पत्नी सीमा सिंह ने बीते 29 जून को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर बजरंगी की जान को खतरा बताया था। उन्होंने आशंका जतायी थी कि उनकी जेल में ही हत्या करायी जा सकती है। इसके लिये सीमा ने एसटीएफ पर साजिश रचने का भी आरोप लगाया था। कहा था कि एसटीएफ उन्हें फर्जी इनकाउंटर में मार सकती है। इसकी शिकायत भी की थी।

कौन था मुन्ना बजरंगी
यूपी के जौनपुर जिले के पूरेदयालपुर गांव निवासी पारसनाथ सिंह के घर 1957 में मुन्ना बजरंगी का जन्म हुआ था। पिता को उम्मीद थी कि वह पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बन जाएगा। पर बजरंगी की किस्मत में कुछ और ही लिखा, सो पांचवीं के बाद पढ़ाई छूट गयी और किशोरावस्था तक पहुंचते-पहुंचते जुर्म की दुनिया में जाने के संकेत मिलने लगे।

मुन्ना बजरंगी को फिल्मी गैंगस्टर काफी भाते थे, उसे असलहों का भी शौक था। 17 साल की कम उम्र में ही बजरंगी के खिलाफ पहला मुकदमा मारपीट व अवैध असलहा रखने का जौनपुर के सुरेही थाने में दर्ज किया गया। इसके बाद तो बजरंगी जुर्म की दुनिया में और गहराई तक चला गया।

मुन्ना बजरंगी की असली आपराधिक सफर तब शुरू हुआ जब उसे जौनपुर के दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण मिल गया। इसके बाद उसने 1948 में लूट के लिये एक व्यापारी की हत्या कर दी। भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या भी मुन्ना बजरंगी के ही सर है। कहा जाता है कि यह हत्या गजराज के इशारे पर ही हुई थी और इसके जरिये पूर्वांचल ने पहली बार मुन्ना बजरंगी का दम देखा था।

मुख्तार अंसारी का खासम खास
मुन्ना बजरंगी जुर्म की दुनिया में नाम कमाने के बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी का खासमखास बन गया। वह उनके गैंग में शामिल हो गया। इसके बाद वह सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा। ऐसा कहा जाता है कि अंसारी के ज्यादातर काम बजरंगी ही करता था। बाहुबली मुख्तार अंसारी गैंगे के लिये खतरा बने कृष्णानंद राय की हत्या की 29 नवंबर 2005 में हत्या कर दी गयी। अंसारी के कहने पर बजरंगी ने कृष्णानंद राय की हत्या की ऐसा आरोप है और कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। इसके बाद तो बजरंगी की गिनती पूर्वांचल के बड़े माफिया के बरामद मे सीधे होने लगी।

दिल्ली में हुई गिरफ्तारी

बजरंगी के खिलाफ सबसे अधिक मामले यूपी मे ही दर्ज हें। बावजूद इसके उसे पकड़ना यूपी पुलिस के बस में नहीं था। पर वह दिन आया जब 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके से नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया। हालांकि कहा गया कि यह गिरफ्तारी खुद मुन्ना बजरंगी ने ही करायी, क्योंकि उसे अपने इनकाउंटर का डर था। बाद में दिल्ली पुलिस ने सामने आकर कहा था कि विवादास्पद इनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में बजरंगी का हाथ होने के शक में उसे गिरफ्तार किया गया था।