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BIG BREAKING: बसपा नेता नारद राय ने छोड़ी पार्टी, दोबारा सपा में जा सकते हैं

सपा छोड़कर बसपा का दामन थामने वाले नारद राय ने दिया बसपा छोड़ी, फिर सपा में जाने की अटकलें।

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Narad Rai Left BSP

नारद राय ने छोड़ी बसपा

बलिया. बहुजन समाज पार्टी को एक और तगड़ा झटका लगा है। यूपी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले समाजवादी पार्टी छोड़कर बहुजन समाज पार्टी में आए दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री नारद राय ने भी बसपा को अलविदा कह दिया है। उन्होंने बसपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने अभी तक किसी पार्टी में जाने का ऐलान तो नहीं किया है, पर सूत्रों की मानें तो वह फिर से समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। फिलहाल इसे बसपा सुप्रीमो मायावती के लिये तगड़ा झटका माना जा रहा है।

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नारद राय यूपी विधानसभा चुनाव में बलिया से टिकट कट जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए थे। पर चुनाव में उन्हें असफलता ही हाथ लगी। इसके बाद मायावती ने उन्हें पार्टी के कुछ पद भी दिये थे। पर इधर बीच बसपा की बुरी स्थिति के बाद पार्टी नेताओं में कुछ बेचैनी की बात कही जा रही थी। शायद इसी बेचैनी का शिकार नारद राय भी हुए।


बहुजन समाज पार्टी यूपी विधानसभा चुनाव के पहले से ही दिग्गज नेताओं के पार्टी छोड़ने की मुश्किल से जूझ रही है। इन नेताओं में काफी बड़े नाम शामिल रहे हैं। चुनाव के बाद भी यह क्रम जारी रहा और नसीमुद्दीन व इन्द्रजीत सरोज जैसे नेताओं ने भी मायावती पर गंभीर आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी।


इसमें इन्द्रजीत सरोज का मामला सबसे ताजा रहा। इन्द्रजीत सरोज ने न सिर्फ बसपा छोड़ी बल्कि अपने साथ 90 से अधिक नेताओं को लेकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। अब इस कड़ी में नारद राय का भी नाम आता दिख रहा है।


कौन हैं नारद राय
नारद राय पहली बार बलिया के टीडी कॉलेज में छात्रसंघ का चुनाव जीतकर अध्यक्ष बने। इसके बाद उन्हें 2002 में समाजवादी पार्टी ने स्व. विक्रमादित्य का टिकट काटकर उन्हें टिकट दे दिया। नारद राय चुनाव जीते तो मुलायम सिंह यादव ने उन्हें राज्यमंत्री बना दिया।


वह 2002 से 2007 तक राज्यमंत्री शहरी विकास रहे। सपा ने उन्हें 2007 में भी टिकट दिया पर वह बसपा की मंजू सिंह से हार गए। इस हार के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने 2012 में उनपर भरोसा बनाकर उन्हें टिकट दिया। इस बार उन्हें जीत मिली और वह मंत्री भी बने।


पर शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव की जंग में भुगतना उन्हें पड़ा। बाहुबली मोख्तार अंसारी की पार्टी के सपा मे विलय के दौरान शिवपाल के साथ खड़े रहना भी अखिलेश यादव को नागवार गुजरा और उन्होंने नारद राय का टिकट काट दिया। इसके बाद उन्होंने बसपा ज्वाइन कर लिया।