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बनारस का यह धरतीपकड़ भी PM मोदी को बनारस से देगा चुनौती

राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति तक का लड़ चुके हैं चुनाव1984 से शुरू हुआ था चुनावी सफर

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नरेंद्र नाथ दुबे अडिग (फाइल फोटो)

नरेंद्र नाथ दुबे अडिग (फाइल फोटो)

वाराणसी. देश की राजनीति में एक धरती पकड़ हुआ करते थे। उन्हीं की तर्ज पर एक धरतीपकड़ बनारस में भी हैं। राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुके हैं। नामांकन के लिए अलग-अलग भेष धारण करके निकलते हैं। इस बार बनारस का यह धरतीपकड़ एक बार फिर से नरेंद्र मोदी को टक्कर देने जा रहा है। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। नामांकन के पहले दिन ही उन्होंने नामांकन फार्म हासिल कर लिया था।


बनारस के धरतीपकड़ के नाम शुमार नरेंद्र नाथ दुबे अडिग ने पहली बार 1984 में विधानसभा चुनाव लड़ थे। 1984 के बाद जितने भी चुनाव हुए सभी में उन्‍होंने पर्चा भरा। कुछ में नामांकन खारिज हो गया जिसमें मौका मिला चुनाव लड़ने का जमानत तक नहीं बचा सके। पर हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने 2007 में राष्‍ट्रपति और 2012 में उप राष्‍ट्रपति का चुनाव भी लड़ा। तब अडिग ने आंध्र प्रदेश के सांसदों का फर्जी साइन वाले पेपर्स तक जमा कर दिया थे। वह एमए और एलएलबी हैं। वाराणसी वकालत भी करते हैं। 2014 के आम चुनाव में भी वह पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतरे थे। तब उन्हें 2277 वोट मिले थे।

नरेंद्र नाथ दूबे हर चुनाव में अलग-अलग रूप धारण कर पर्चा भरने या फिर शहर की सड़कों पर घूम कर मतदाताओं से वोट मांगने के दौरान सुर्खियों में रहते हैं। अब तक के चुनाव में वह राम और श्‍याम का रूप धर चुके तो टोटके के नाम पर उल्‍टा चलना या फिर नाक में नकेल डालकर भी घूम चुके हैं। बताते हैं कि इस बार पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के दौरान केसरिया वस्‍त्रों में हाथ में गदा लिए नामांकन करने पहुंचेंगे। उन्‍होंने दावा किया कि उन्‍हें कई दलों का समर्थन प्राप्‍त है।

अडिग ने अपना जो घोषणा पत्र छपवाया है जिसमें चुनाव जीतने पर देश में एक भी बेरोजगार न रहने देने का वादा किया है। बिना सरकारी धन खर्च किए चार सौ दिन में ही दस करोड़ लोगों को रोजगार देने की भी बात कही है। साथ ही यह भी दावा किया कि रोजगार के मामले में वाराणसी के युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।

घोषणा पत्र में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है, ‘मत देखो मतपत्र पर किसी दल का लोगो, मतपत्र पर देखो सिर्फ अडिग का फोटो।' इसे ‘देवालय पीठ’ के सौजन्‍य से जारी किया गया है। अडिग का दावा है कि देवालय पीठ संतों की संस्‍था है। वैसे भी खुद अडिग अपने को हठयोगी, तपस्‍वी-उपासक बताते हैं। देश और समाज सेवा के लिए उन्‍होंने राष्‍ट्रीय मानवाधिकार रक्षा समिति ट्रस्‍ट बनाया है।

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