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वाराणसी. आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ रुप में इतनी शक्ति होती है कि भक्त सच्चे मन से पूजा करे तो उसका भाग्य बदल सकता है। शिव की नगरी काशी में खुद माता भक्तों को दर्शन देने आती है। शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता का दर्शन किया जाता है।
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बनारस में जैतपुरा में स्कंदमाता का मंदिर है तहां पर तीन अक्टूबर को दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। देश में यह अपने तरह का एकलौता मंदिर है। इसी मंदिर में माता वागेश्वरी भी विराजान है जिन्हें स्कंदमाता का ही रुप माना जाता है। काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं.ऋषि द्विवेदी ने बताया कि माता की पूजा करने से सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। माता के चार हाथ है और सिंह पर सवार है। माता के गोद में भगवान स्कंद स्वंय विराजमान है। स्कंदमाता का दर्शन करने से भगवान स्कंद का भी आर्शीर्वाद मिलता है। जिस तरह मां अपने बच्चों को ममता देती है इसी तरह माता भी भक्तों को वात्यसल देती है। माता का दर्शन करने से भक्तों के तेज में वृद्धि होती है। माता का आशीर्वाद मिल गया है तो कुछ भी असंभव नहीं है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि माता का दर्शन करने के साथ ही दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए। मां दुर्गा का नवरायण मंत्र की एक माला जाप करने से माता प्रसन्न हो जाती है और भक्तों की सारी मुराद पूरी कर देती है। जीवन में सफलता के मार्ग प्रशस्त हो जाते हैं।
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Published on:
03 Oct 2019 06:30 am
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