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वाराणसी प्राधिकारी निर्वाचन सीटः बाहुबली बृजेश के लिए 2016 दोहरा पाना आसान नही

वाराणसी प्राधिकारी निर्वाचन सीट से 2016 में बाहुबली बृजेश कुमार सिंह ने फतह हासिल की थी। उस वक्त उन्हें बीजेपी का समर्थन हासिल था, तब दोनों चुनाव अलग-अलग हुए थे और बृजेश समर्थक और उनके चुनाव की गुणा-गणित संभालने वाले भी खाली रहे। दूसरे चुनावी समीकरण भी उनके पक्ष में था। लेकिन इस दफा हालात बदले-बदले हैं। लेकिन बृजेश ने नामांकन पत्र खरीद कर चुनाव में दोबारा दमखम दिखाने का फैसला कर लिया है।

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एमएलसी बृजेश सिंह

एमएलसी बृजेश सिंह

वाराणसी. एक तरफ यूपी विधानसभा चुनाव तो उसके साथ ही वाराणसी प्राधिकारी निर्वाचन सीट का चुनाव। दोनों एक साथ होने से बहुतेरे प्रत्याशियों के लिए इस बार वाराणसी प्राधिकारी निर्वाचन सीट में जीत को लेकर कयासों का दौर चल पड़ा है। खास तौर पर बात करें बाहुबली एमएलसी बृजेश सिंह की तो अबकी बार 2016 की कहानी दोहराना आसान नहीं होगा।

वाराणसी के केंद्रीय कारागार में बंद बाहुबली बृजेश सिंह और उनकी पत्नी पूर्व एमएलसी अन्नपूर्णा सिंह ने शुक्रवार को वाराणसी प्राधिकारी निर्वाचन सीट की अधिसूचना जारी होते ही नामांकन पत्र दाखिले के पहले ही दिन पर्चा खरीद लिया है। इस बार भी वो जेल से ही चुनाव लड़ेंगे। लेकिन विधानसभा और विधान परिषद चुनाव साथ-साथ होने से जीत की गणित उतनी आसान भी नहीं होगी जैसे 2016 में थी।

सबसे बड़ी बात ये कि इस बार का चुनावी परिदृश्य बिल्कुल बदला हुआ है। विधानसभा और विधान परिषद चुनाव साथ-साथ हो रहे हैं। ऐसे में बीजेपी जो पिछली बार ही खुल कर बृजेश के पक्ष में नहीं खड़ी हुई थी वो इस बार उन्हें खुला समर्थन देगी ये यक्ष प्रश्न होगा।

ये भी पढें- बाहुबली MLC बृजेश फिर ठोक रहे खम, स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन-2022 के लिए खरीदा पर्चा

दूसरे इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सहयोगी रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी उससे किनारा कर चुकी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी इस बार अपने टिकट पर बृजेश सिंह के कट्टर प्रतिद्वंद्वी बाहुबली विधायक मोख्तार अंसारी को विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में है। उधर मोख्तार एंड पार्टी को ये कतई गवारा नहीं होगा कि बृजेश सिंह दोबारा वाराणसी प्राधिकारी निर्वाचन सीट से जीत हासिल करें। ऐसे में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से जुड़े वोटर भी अपना हाथ खींचेंगे। ये समीकरण बृजेश के लिए जीत की राह में मुश्किलें पैदा कर सकता है।

दूसरे स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने से उनकी बिरादरी का वोट भी उनके रुख पर ही निर्भर करेगा। ऐसे में एमएलसी चुनाव के पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं के बीच बृजेश सिंह के लिए माहौल बना पाना उनके समर्थकों के लिए मुश्किल भरा हो सकता है।

यहां ये भी बता दें कि बृजेश सिंह जब 2016 में जब वाराणसी प्राधिकारी निर्वाचन सीट का चुनाव जीते थे, तब बाहुबली विधायक विजय मिश्र भदोही में खुल कर उनके साथ थे। बृजेश सिंह की जीत सुनिश्चित करने के लिए उन्होने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। लेकिन इस बार कहानी बदल गई है। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने विजय मिश्र को उनके आपराधिक कारनामों के बिना पर आगरा जेल में डाल रखा है। दूसरे विजय मिश्र खुद आगरा जेल से ही विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में विजय मिश्र का इस दफा बृजेश के लिए खुल कर काम कर पाना संभव नहीं है। वो अपने विधानसभा चुनाव के लिए ही किस तरह से तैयारी कर रहे हैं ये ही विचारणीय प्रश्न है।

दूसरे बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह भी इस बार खुद ही विधानसभा चुनाव फतह करने में जुटे हैं। 2016 में सुशील ही थे जिन्होने बृजेश के चुनाव की कमान संभाल रखी थी। चंदौली से लेकर वाराणसी तक के वाराणसी प्राधिकारी निर्वाचन सीट के मतदाताओं को बृजेश के पाले में करने को सुशील ने दिन-रात एक कर रखा था। लेकिन इस बार सुशील सिंह अपना चुनाव छोड़ कर चाचा के लिए कितना और क्या कर पाएंगे यह बड़ा मसला है।

वाराणसी प्राधिकारी निर्वाचन सीट के मतदाताओं पर निगाह डालें तो वाराणसी में 1867, चंदौली में 1725 और भदोही में 1357 मतदाता हैं। यहां ये भी बता दें कि इस चुनाव में बीडीसी, ग्राम प्रधान, स्थानीय निकाय प्रतिनिधि, ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य मतदान करते हैं। जानकारों का मानना है कि इस बार सियासी समीकरण बदले हुए हैं। इसी दौरान विधान परिषद के लिए भी मतदान होना है। वाराणसी जिला पंचायत की बात करें तो इसमें समाजवादी पार्टी का वोट ज्यादा है। उसे साधना आसान नहीं होगा।