वाराणसी. लोकसभा चुनाव 2019 के पहले बीजेपी के सहयोगी दल ने अपने पुराने मांग को मुद्दा बनाने का निर्णय कर लिया है। शुक्रवार को हुई बैठक में कहा गया है कि गांव-गांव जाकर लोगों को इस मुद्दे की जानकारी दी जाये। साथ ही कहा गया कि सभी को बताया जाये कि इस मांग का क्या फायदा । सहयोगी दल के इस अभियान से सीएम योगी आदित्यनाथ की परेशानी बढऩी तय है। बीजेपी के लिए मांग स्वीकार करना आसान नहीं होगा।
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बीजेपी के सहयोगी दल सुभासपा ने अलग पूर्वांचल की मांग तेज करने का निर्णय कर लिया है। यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की पार्टी पहले से ही अलग पूवांंचल राज्य की मांग करती आयी है। लोकसभा चुनाव से पहले इस मांग को पूरा करने के लिए सुभासपा ने गांव-गांव जाकर अभियान चलाने की तैयारी की है। ओमप्रकाश राजभर के प्रतिनिधि शशिप्रताप सिंह ने कहा कि यूपी की आबादी 22 करोड़ है जबकि पूर्वांचल में आठ करोड़ लोग रहते हैं। यूपी बहुत बड़ा राज्य है। बलिया निवासी को कोई काम पड़ जाता है तो उसे लखनऊ तक की दौड़ लगानी होती है। देश में कई ऐसे राज्य है जिनकी आबादी दो से तीन करोड़ है जब इतनी आबादी वाले अलग राज्य बन सकते हैं तो पूर्वांचल को अलग राज्य क्यों नहीं बनाया जा सकता है। शशिप्रताप सिंह ने कहा कि पूर्वांचल को अलग राज्य बनाया जाना चाहिए और बनारस को इसकी राजधानी। ऐसे में पूर्वांचल का अधिक से अधिक विकास हो जायेगा।
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गांव-गांव जाकर बताये अलग राज्य होने का लाभ
सुभासपा नेता शशिप्रताप सिंह ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को कहा कि गांव-गांव जाकर अलग राज्य होने का लाभ बताया जाये। शाम को गांव में चौपाल लगायी जाये। चौपाल में २० आदमी ही आये, लेकिन उन्हें बताये कि अलग पूर्वांचल राज्य होने से क्या लाभ होगा। लोगों का जीवन स्तर किस तरह से सुधरेगा और इसका क्या फायदा है।
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बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा मांग मानना
बीजेपी के लिए सुभासपा की मांग मानना आसान नहीं होगा। यूपी में बीजेपी की सरकार है और यूपी सरकार नहीं चाहेगी कि किसी भी हाल में यूपी से पूर्वांचल को अलग किया जाये। सुभासपा जितने जोर-शोर से इस मुद्दे को उठायेगी। उतनी ही परेशानी बीजेपी की बढ़ेगी। सुभासपा के निर्णय से साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले यूपी में शराबबंदी व अलग पूर्वांचल राज्य का मुद्दा जोर पकडऩे वाला है।
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