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खुद को मोहरे से वजीर बनाने में जुटे BJP के सहयोगी ओम प्रकाश राजभर

ओम प्रकाश राजभर ने उसी नेता के गढ़ में जाकर की जनसभा जिसे BJP उनके मुकाबले में कर रही है तैयार।

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Om Prakash Rajbhar

ओम प्रकाश राजभर

चंदौली. ओम प्रकाश राजभर हार मानने के मूड में नहीं दिख रहे। पहले उन्होंने वाराणसी में बीजेपी के अमित शाह की युवा उद्घोष कार्यक्रम से ज्यादा भीड़ जुटाकर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश किया। फिर उसी मंच से 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का साथ छोड़ने तक की धमकी भरा संदेश भी दे डाला। अब उन्होंने बीजेपी के एकमात्र राजभर नेता अनिल राजभर के चंदौली स्थित गृहक्षेत्र में जाकर अपनी सभा की और ताकत दिखायी। खुद को राजनीतिक मोहरे से वजीर बनाने में जुटे ओम प्रकाश का यह राजनीतिक दाव बीजेपी के लिये संकेत माना जा रहा है कि अपनी जाति के वोटों पर सबसे ज्यादा पकड़ उन्हीं की है, जिसके दम पर उनकी राजनीति चलती है और लोकसभा में भी उनकी यह ताकत बरकरार रहेगी।


ओम प्रकाश राजभर ने चंदौली के सकलडीहा में अपनी सभा की, जिसमें उन्होंने राजभर जाति के दो जोड़ों का विवाह भी कराया। इस दौरान जब उनसे सवाल किया गया कि आप अनिल राजभर क्षेत्र में जनसभाएं कर रहे हैं और वो आपके विधानसभा क्षेत्र में, इसे क्या माना जाए ? इस सवाल पर वो थोड़ा असहज हो गए। फिर संभलते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं, मेरी इस सभा की तिथि डेढ़ महीने पहले ही तय कर दी गयी थी। हालांकि उन्होंने यह बात जरूर कही कि वह इसके जरिये अपने कार्यकर्ताओं तक पहुच रहे हैं और पूरे प्रदेश में 18 मंडलों में मंडलवार सभाएं कर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को 2019 के लिये एकजुट करेंगे।

हालांकि यहां उन्होंने 2019 लोकसभा का चुनाव भाजपा नीत NDA के साथ मिलकर लड़ने की ही बात कही, पर पिछली गतिविधियां और बयान के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा आम है कि ओम प्रकाश राजभर ने जिस भाजपा के दम पर पार्टी को प्रदेश की राजनीती के केन्द्र में लाने का सपना देखा था अब वह उसी से कहीं न कहीं डरे हुए हैं। उन्हें यह भी डर है कि बीजेपी उनके मुकाबले अपने मंत्री अनिल राजभर को उनकी जाति के बड़े नेता के रूप में उभारने की कोशिश में जुटी है, हालांकि सूत्रों और हालिया गतिविधियों पर गौर करें तो उनका यह डर और आशंका बेवजह नहीं।


शायद यही वजह है कि ओम प्रकाश राजभर अक्सर ऐसे बयान देते रहते हैं जिससे बीजेपी सरकार में रहने के बावजूद उनके असहज होने का अंदाजा लगाया जाता है। हालांकि यह याद रखना होगा कि वह सरकार बनने से लेकर अब तक यह जताते चले आए हैं कि बीजेपी के पूर्ण बहुमत में उन्होंने बड़ी भूमिका निभायी है। शायद यही वजह हो कि वह बीजेपी से कुछ अधिक की अपेक्षा कर रहे हों और बीजेपी इसे उनका ब्लैकमेल मान रही हो, जिसके परिणामस्वरूप दोनों ओर से ऐसी राजनैतिक गतिविधियां और बयान सामने आ रहे हों। बीजेपी राजभर को संतुष्ट कर पाती है या फिर राजभर की धमकी सच होती है, जैसे-जैसे 2019 का चुनाव नजदीक आएगा इसकी तस्वीर साफ होती जाएगी।