
ज्ञानवापी प्रकरण में याचिका दाखिल कर कहा- मंदिर के एक हिस्से को ध्वस्त कर उसे मंदिर या वक्फ नहीं बनाया जा सकता
वाराणसी. ज्ञानवापी प्रकरण (Gyanwapi Case) को लेकर अदालत में एक और याचिका दाखिल की गई है। याचिका सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि आदि विश्वेश्वर पांच कोस के दायरे में अवमुक्त क्षेत्र है। मां शृंगार गौरी स्वयंभू देवता हैं। प्राचीन काल से इनकी पूजा होती आ रही है। आदि विश्वेश्वर मंदिर का एक हिस्सा वर्ष 1669 में औरंगजेब द्वारा ध्वस्त करा दिया गया था। दावे में कहा गया है कि देवता पूरे परिसर के स्वयंभू मालिक हैं और उसके एक हिस्से पर किए गए निर्माण को न तो मस्जिद कहा जा सकता है और न ही इसे वक्फ बनाया जा सकता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि मंदिर के किसी भी हिस्से का उपयोग करने का अधिकार दूसरे पक्ष को नहीं है। याचिका में काशी विश्वनाथ 1983 अधिनियम का हवाला देते हुए कहा गया है कि पुराने मंदिर में मौजूद ज्योतिर्लिंग और आदि विश्वेश्वर के अस्तित्व को मान्यता देता है। अदालत से अनुरोध किया गया है कि देवी गंगा, हनुमान, गणेश, नंदी और आदि विश्वेश्वर के साथ ही मां शृंगार गौरी के उपासक सभी देवी-देवताओं के पूजा करने के अधिकारी हैं।
याचिका में शृंगार गौरी और आदि विश्वेश्वर का वाद मित्र बताते हुए रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह समेत आठ लोगों ने भारत संघ, उत्तर प्रदेश सरकार, डीएम, एसएसपी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पक्षकार बनाया गया है। ज्ञानवापी प्रकरण में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में एक नई याचिका दाखिल की गई है। इसमें शृंगार गौरी और आदि विश्वेश्वर का वाद मित्र बताते हुए रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह समेत आठ लोगों ने भारत संघ, उत्तर प्रदेश सरकार, डीएम, एसएसपी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पक्षकार बनाया गया है।
Published on:
19 Feb 2021 11:45 am
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