इन पांच जीवों का ही चुनाव क्यों किया गया है
कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है, चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं। इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।. केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं। इसलिए पितृ पक्ष में गाय की सेवा विशेष फलदाई होती है।
कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है, चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं। इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।. केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं। इसलिए पितृ पक्ष में गाय की सेवा विशेष फलदाई होती है।
गो- पश्चिम दिशा की ओर पत्ते पर गाय के लिए खाना निकालते हैं। इसमें भोजन का एक हिस्सा गाय को दिया जाता है क्योंकि गरुड़ पुराण में गाय को वैतरणी नदी से पार लगाने वाली कहा गया है। गाय में ही सभी देवता निवास करते हैं। गाय को भोजन देने से सभी देवता तृप्त होते हैं इसलिए श्राद्ध का भोजन गाय को भी देना चाहिए।
1. श्वानबलि (पत्ते पर)- पंचबली का एक भाग कुत्तों को खिलाया जाता है। कुत्ता यमराज का पशु माना गया है, श्राद्ध का एक अंश इसको देने से यमराज प्रसन्न होते हैं। शिवमहापुराण के अनुसार, कुत्ते को रोटी खिलाते समय बोलना चाहिए कि- यमराज के मार्ग का अनुसरण करने वाले जो श्याम और शबल नाम के दो कुत्ते हैं, मैं उनके लिए यह अन्न का भाग देता हूं। वे इस बलि (भोजन) को ग्रहण करें। इसे कुक्करबलि कहते हैं।
2- काकबलि (पृथ्वी पर)- पंचबली का एक भाग कौओं के लिये छत पर रखा जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, कौवा यम का प्रतीक होता है, जो दिशाओं का फलित (शुभ-अशुभ संकेत बताने वाला) बताता है। इसलिए श्राद्ध का एक अंश इसे भी दिया जाता है। कौओं को पितरों का स्वरूप भी माना जाता है। श्राद्ध का भोजन कौओं को खिलाने से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और श्राद्ध करने वाले को आशीर्वाद देते हैं।
3- देवादिबलि (पत्ते पर) – देवताओं को भोजन देने के लिए देवादिबलि की जाती है। इसमें पंचबली का एक भाग अग्नि को दिया जाता है जिससे ये देवताओं तक पहुंचता है। पूर्व में मुंह रखकर गाय के गोबर से बने उपलों को जलाकर उसमें घी के साथ भोजन के 5 निवाले अग्नि में डाले जाते हैं। इस तरह देवादिबलि करते हुए देवताओं को भोजन करवाया जाता है। ऐसा करने से पितर भी तृप्त होते हैं।
4-पिपीलिकादिबलि (पत्ते पर) – इसी प्रकार पंचबली का एक हिस्सा चींटियों के लिए उनके बिल के पास रखा जाता है। इस तरह चीटियां और अन्य कीट भोजन के एक हिस्से को खाकर तृप्त होते हैं। इस तरह गाय, कुत्ते, कौवे, चीटियों और देवताओं के तृप्त होने के बाद ब्राह्मण को भोजन दिया जाता है। इन सबके तृप्त होने के बाद ब्रह्मण द्वारा किए गए भोजन से पितृ तृप्त होते हैं।