
Pitru Paksha 2023
Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष के शुरू होते ही सभी मांगलिक कार्य बंद कर दिए गए हैं। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता। इस वर्ष 14 दिन के पितृपक्ष में काशी के पिचाश मोचन पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ेगा, पर क्या आप जानते हैं कि पितृपक्ष पर काशी में होने वाले त्रिपिंडी श्राद्ध की आवश्यकता क्यों पड़ती है? पितरों को दोष कैसे लगता ? क्या पितृपक्ष में कोई काम ऐसा है जिसे करने से यह दोष लगता है कर फिर त्रिपिंडी श्राद्ध करना पड़ता है ? इन सब विषयों पर हमने काशी के पिशाचमोचन तीर्थ के प्रधान सेवक मुन्ना लाल पांडे से बात की। पेश है इस बातचीत के मुख्य अंश...
पितृपक्ष में श्राद्ध करने के लिए क्या हैं शर्तें ?
मुन्ना लाल पांडे से जब patrika.com ने बात की और उनसे पूछा कि जो व्यक्ति श्राद्ध कर्म कर रहा है उसके लिए किया नियम होते हैं और क्या शर्तें होती हैं तो उन्होंने बताया कि 'पितृपक्ष में जो व्यक्ति अपने माता-पिता या पिता का श्राद्ध करने के लिए निकला है वह इन दिनों में किसी भी मंदिर में किसी भी विग्रह का दर्शन पूजन नहीं करेगा। इसके अलावा वह अपना दाढ़ी-बाल अगले 15 दिनों तक नहीं बनवाएगा, जब तक की वह श्राद्ध कर्म गया जाकर पूरा न कर ले और तर्पण न कर लें।
किसी सनातनी को पितृपक्ष में नहीं बनानी चाहिये ये सब्जी, वरना लगेगा पितृ दोष
पिचाश मोचन तीर्थ के प्रधान सेवक मुन्ना लाल पांडेय ने बताया कि पितृपक्ष में किसी भी सनातनी को नॉनवेज नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा नेनुआ की सब्जी किसी भी हाल में घर में नहीं बनाना चाहिए। नेनुआ की सब्जी यदि भूलवश बानी तो उसे आगे ध्यान देना होगा की कभी ऐसा न होने पाए। यदि ऐसा बार-बार हुआ तो पितृ दोष लग जाएगा। उन्होंने कहा कि लोग मानते नहीं है इस बात को लेकिन यही कारण बनता पितृ दोष का और फिर त्रिपिंडी श्राद्ध करना पड़ता है ताकि पितृदोष से मुक्ति मिल सके।
ना पहने तामसी वस्त्र
मुन्ना लाल पांडेय ने यह भी कहा कि जो भी व्यक्ति श्राद्ध कर्म कर रहा है वह पीला या सफेद वस्त्र ही पहने। तामसी वस्त्रों से दूर रहे। तामसी वस्त्र पहनने से दोष लगेगा औअर त्रिपिंडी श्राद्ध सफल नहीं होगा और पितरों की आत्मा को शान्ति नहीं मिलेगी।
Published on:
30 Sept 2023 09:40 am
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