
पीएम नरेंद्र मोदी
वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा निर्मलीकरण पर उनके ही क्षेत्र पर पलीता लगाया जा रहा है। यहां तक कि दूषित पानी को शोधित करने के लिए लाखों खर्च कर बनाए गए (सीवेज ट्रीटमेंट प्लॉंट) STP ने भी काम करना बद कर दिया है। आलम यह है कि एसटीपी से निकलने वाला शोधित पानी जिसे गंगा में गिराया जा रहा है वह भी दूषित है। यानी अब एसटीपी पर भी भरोसा खत्म हो गया है। इसका खुलासा किया है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने।
बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह के मुताबिक वाराणसी में गंगा प्रदूषण को रोकने के लिए स्थापित किए गए दीनापुर एसटीपी से छोड़े जाने वाले पानी की हाल ही में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जांच कराई थी। इस जांच में पाया गया कि एसटीपी की कार्य क्षमता मानक के अनुरूप नहीं होने से शोधित जल के नाम पर जो पानी डिस्चार्ज हो रहा है वह प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने बताया कि शोधन मानक क्षमता 10 बीओडी के सापेक्ष शोधित पानी 27 बीओडी मिला। इस बारे में भेजी गई रिपोर्ट का एनजीटी ने संज्ञान लिया है।
एनजीटी ने एसटीपी से होने वाले पर्यावरणीय क्षति का आंकलन कर जुर्माना लगाने और एक बार फिर एसटीपी की शोधन क्षमता की जांच के निर्देश दिए है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने पर्यावरणीय क्षति के लिए 45 लाख का जुर्माना लगाने की संस्तुति की है। बोर्ड और जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के विशेषज्ञ जल्द एसटीपी की शोधन क्षमता की दोबारा जांच करेंगे। इस बीच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जांच रिपोर्ट के आधार पर एसटीपी की कार्य क्षमता ठीक न होने को लेकर जल निगम से स्पष्टीकरण भी मांगा है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अपग्रेड हो रही लैब का जायजा लेने एनएमसीजी की टीम 22 अक्टूबर को बनारस आने वाली है। तीन दिवसीय दौरे में टीम के सदस्य लैब का निरीक्षण करेंगे और गंगा, वरुणा, गोमती एवं तमसा नदियों का मुआयना करेंगे।
बता दें कि वाराणसी में गंगा नदी में हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए दीनापुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बना है।140 एमएलडी क्षमता वाले दीनापुर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से गंगा नदी में प्रदूषण होने की बात सामने आने के बाद अब गंगा प्रदूषण नियंत्रण ईकाई पर 45 लाख का जुर्माना लगाने की सिफारिश की है।
Published on:
18 Oct 2019 01:25 pm
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