
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चौथे सासंद आदर्श गांव के रूप में डोमरी गांव प्रस्तावित है। इस गांव के चयन के साथ ही जिला प्रशासन ने जनता की मांग पर सड़कें बनवाने का निर्देश दिया। लेकिन संभावित विभाग ने जो काम किया उसका नतीजा यह है कि आज पैदल चलने काबिल भी नहीं रही वह सड़क।

दो पहिया वाहन चालकों का तो उधर से जाने का मतलब दुर्घटना को दावत देने जैसा है। स्कूली बच्चों को अभिभावक जैसे तैसे पहुंचा रहे।

छह महीना पहले तत्कालीन डीएम ने PWD को सड़क बनवाने का दिया था निर्देश बता दें कि बीते अप्रैल में प्रधानमंत्री के आगमन की सूचना मिलते ही आनन फानन में जिलाधिकारी ने डोमरी गांव पहुंच कर चौपाल लगाया। इस दौरान लोगों ने उनसे अपनी समस्याओं का जिक्र करते हुए सड़को की खराब हालत का उल्लेख प्रमुखता से किया था। यह भी बताया था कि कई जगह तो सड़क है ही नहीं। इस पर तत्कालीन डीएम योगेश्वर राम मिश्र ने पीडब्लूडी के अभियंताओं को मुख्य मार्ग और संपर्क मार्ग को बनवाने का निर्देश दिया।

सड़क के नाम पर मिट्टी फेंक कर छोड़ दिया अब लोक निर्माण विभाग की लापरवाही का नतीजा यह है कि रतनपुर गांव की सड़क जो कि डोमरी गांव को जोड़ती है पहली ही बारिश से दलदल में तब्दील हो चुकी है। बता दें कि इस सड़क का आधा हिस्सा चंदौली संसदीय क्षेत्र में पड़ता है तो आधा वाराणसी संसदीय क्षेत्र में। अब चंदौली के हिस्से वाली सड़क कब का बन चुकी है मगर वाराणसी के हिस्से की सड़क नही बनी। ग्रामीणों ने बताया कि 12 वर्षों से वे इस सड़क को बनवाने के लिए प्रयासरत हैं मगर सरकार और प्रशासन की उदासीनता की वजह से अब दलदल वाली सड़क मिली है जहां दो पहिया वाहन चला ही नहीं पा रहे। फिसलन इतनी है कि हमेशा डर बना रहता है कि कब कहां न गिर पड़ें। बच्चों का स्कूल जाना भी मुश्किल हो गया है। अभिभावक जैसे-तैसे खुद को संभलते हुए बच्चों को रास्ता पार करा रहे हैं।

छह महीना पहले स्वीकृत हुई थी धनराशिः ग्राम प्रधान ग्राम प्रधान बाबूलाल ने बताया कि सड़क को बनाने के लिए छह महीने पूर्व हीं जिला पंचायत सदस्य अमित सोनकर के मद से पैसा भी पास हो चुका है पर सड़क अभी तक नहीं बनी। विकास का यह हाल उस गांव का है जिसे देश के प्रधानमंत्री गोद ले रहे हैं।