
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
वाराणसी/प्रयागराज. कचरा समझकर फेक दिया जाने वाला आलू का छिलका अब गंगा को स्वच्छ बनाने में मददगार साबित होगा। आलू के छिलके से वैज्ञानिकों ने चुम्बकीय माइक्रोबाॅट तैयार किया है जो दूषित जल को साफ कर सकता है। इसके 100 प्रतिशत कारगर होने का दावा भी किया गया है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित जल साफ किया जाएगा। आलू के छिलके से नैनो आधारित स्वायत्त रूप से चलित चुम्बकीय माइक्रोबाॅट प्रयागराज स्थित ट्रिपल आईटी (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इनफाॅर्मेशन टेक्नोलाॅजी) ने बनाया है। सूक्ष्म कण जैसे यही माइक्रोबाॅट दूषित जल को शुद्घ करने के काम आएंगे।
दूषित जल को साफ करने के लिये आलू के छिलके से जैस वंगत कार्बन डाॅट्स का इस्तेमाल कर एकीकृत घटक के रूप में इसे विकसित किया गया है। इसे बनाने वाली टीम में ट्रिपल आईटी के एप्लाइड साइंसेज विभाग के डाॅ. अमरेश कुमार साहू के नेतृत्व में शोध छात्र सौरभ शिवाल्कर, कृष्णा मौर्य, आरुषि वर्मा, लैब मेंबर डाॅ. पवन कुमार गौतम शामिल हैं। उनके अलावा डिपार्टमेंट के डाॅ. सिंटू कुमार सामंता और अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के डाॅ. एमडी पलाशुद्दीन एसके का भी इसमें रोल है।
डाॅ. अमरेश कुमार साहू की के अनुसार माइक्रोबाॅट्स को विकसित करने में लगभग दो साल लग गए। नवंबर 2020 में इसके पेटेंट के लिये आवेदन किया जा चुका है। यह शोध जर्नल ऑफ इनवायरमेंटल मैनेजमेंट एल्सवेयर में भी प्रकाशित हो चुका है। उनके अनुसार एक ऐसी सेल्फ प्रोपेलिंग मोटर विकसित करना था जो जैव अनुकूलता, अपशिष्ट प्रबंधन में कारगर हो। इसी मकसद से सौरभ शिवाल्कर को जोड़ा गया। बताया कि आलू के छिलके से कार्बन डाॅट्स को अलग कर लौह आधारित नैनोपार्टिकल से मिलाकर ये माइक्रोबाॅट तैयार हुआ। प्रदूषित जल में इसका ट्रीटमेंट करने से पहले इन्हें स्ट्रक्चरल इंटीग्रेशन और लोकोमेशन के अनुकूल किया गया।
Published on:
24 Jul 2021 06:48 pm
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