प्रियंका गांधी का कहना है कि वह उन पीड़ित परिवारों से मिलना चाहती हैं। अभी वाराणसी के ट्रामा सेंटर में देखा मेरे बेटे के बराबर के बच्चे को गोली लगी है। मैं ऐसे ही लोगों से मिलना चाहती हूं। उनका दर्द, उनकी पीड़ा जानना चाहती हूं।
बता दें कि सोनभद्र में गत 17 जुलाई को सोनभद्र जिले के घोरावल के मूर्तियां गांव में जमीनी विवाद में ग्राम प्रधान और ग्रामीणों के बीच हुई हिंसक झड़प में गोली लगने से एक पक्ष के 9 लोगों की मौत हो गई थई. जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घायलों को बीएचयू के ट्रामा सेंटर लाकर भर्ती कराया गया है। इन मरीजों को देखने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी शुक्रवार को अचानक बनारस पहुंचीं। प्रियंका के वाराणसी आने की सूचना मिलते ही पुलिस व जिला प्रशासन ने आनन-फानन में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त कर दिए।
प्रियंका करीब 10.50 बजे ट्रामा सेंटर पहुंची, एसपीजी और स्थानीय पुलिस ने उन्हें पिछले दरवाजे से जहां से अस्पताल में भर्ती मरीजों के शव निकाले जाते हैं वहां से अस्पताल के अंदर पहुंचाया। वह सर्जरी वार्ड में गईं और वहां भर्ती मरीजों से मिल कर घटना की जानकारी ली। सबके घाव देखे और इलाज के बारे में जानकारी ली। बमुश्किल पांच मिनट तक वह रुकीं फिर पुलिस ने उन्हें घेरे में ले लिया और कार में बिठा कर ट्रामा सेंटर से रवाना कर दिया। यहां प्रियंका की इच्छा के बाद भी उन्हें मीडिया से नहीं मिलने दिया गया।
वाराणसी से सोनभद्र जाते हुए प्रियंका गांधी जैसे ही नारायणपुर पहुंची स्थानीय पुलिस ने उनके काफिले को रोक दिया। जिला प्रशासन की इस कार्रवाई पर प्रियंका ने कहा कि मेरे वहां पर जाने से कोई कानून व्यवस्था पर असर नहीं पड़ने वाला। उन्होंने कहा कि मुझे किसी कानून के तहत रोका गया। प्रियंका गांधी पार्टी नेताओं संग वहीं धरने पर बैठ गईं। धरने पर बैठी प्रियंका ने कहा कि मुझे जिला प्रशासन के अधिकारी ऑर्डर की कॉपी दिखाए कि मुझे किस नियम के तहत रोका गया है। वहीं प्रशासन ने प्रियंका गांधी समेत कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया है। बताया जा रहा है कि सोनभद्र के मूर्तिया गांव में धारा 144 लगी हुई है।