
पीएम नरेंद्र मोदी
वाराणसी. पिछले करीब दो साल से बनारस में बिजली के तारों को भूमिगत करने का काम चल रहा है। वहीं साल भर पहले गैस पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ। एक काम जहां आईपीडीएस कर रहा है तो दूसरे काम की जिम्मेदारी भेल व रिलायंस के जिम्मे है। लेकिन दोनों ही काम मानक के अनुरूप नहीं हो रहे हैं। इस पर समय-समय पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। वरिष्ठ सपा नेता और एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने इन कामों पर कई बार सवाल खड़ा किया है। लेकिन कार्यदायी संस्थाओं पर कोई खास असर नहीं पड़ा। अब अग्निशमन विभाग ने ही इस पर सवाल खड़ा करते हुए सुरक्षा मानकों की अवहेलना का आरोप लगाया। अग्नि शमन विभाग की इस बड़ी चेतावनी को संज्ञान लिया कमिश्नर ने। उन्होंने खुद ऐसे इलाकों का निरीक्षण किया। इसके बाद भेल व रिलायंस के अधिकारियों को कड़ी चेतावनी जारी की।
सबसे महत्वपूर्ण तो यह कि अग्निशमन विभाग के बाद अब भेल व रिलायंस के अधिकारियों ने आईपीडीएस की पोल खोल दी है। इन तीनों विभागों के अधिकारियों की बातों पर गौर किया जाए तो यह शहर बारूद के मुहाने पर खड़ा है। बता दें कि जब आईपीडीएस ने शहर के कई इलाकों में बिजली के तारों को भूमिगत करना शुरू किया था तभी पत्रिका ने खबर लिखी थी कि शहर को बारूद के मुहाने पर खड़ा किया जा रहा है। पत्रिका ने बताया था कि बिजली के तारों को भूमिगत करने के दौरान मानक का खयाल नहीं रखा जा रहा। अब पत्रिका की खबर पर ऊर्जा गंगा के काम को देख रही कार्यदायी संस्था ने मुहर लगा दी है। जिला सूचना विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से ऊर्जा गंगा योजना पर काम कर रही कार्यदायी संस्था के अधिकारी गौरीशंकर ने बताया है कि शहर में बिछाये जा रहे गैस पाइप लाइन के कार्य में सुरक्षा मानको का पूरी तरह ध्यान रखा जा रहा है। उन्होने बताया है कि गैस पाइप लाइन को जमीन में 3 से 4 मीटर की गहराई में ट्रेचलेंस विधि से डाला जा रहा है जबकि आईपीडीएस की पाइप लाइन जमीन में 1 से आधा फीट की गहराई पर ही डाला गया है। उन्होने बताया कि नियमानुसार आईपीडीएस एवं बिजली विभाग के भूमिगत पाइप लाइन से गैस पाइप लाइन की दूरी 300 मिमी होनी चाहिए जबकि उर्जा गंगा विभाग द्वारा आईपीडीएस एवं बिजली विभाग के भूमिगत पाइप लाइन से गैस पाइप लाइन की दूरी लगभग 2 मीटर मेंटेन की जा रही है।
बता दें कि शहर में बिछाई जा रही गैस पाइप लाइन के बाबत अग्निशमन विभाग द्वारा उर्जा गंगा की गैस पाइप लाइन को हाईटेंशन तार से सटाकर बिछाए जाने की शिकायत करते हुए भविष्य में दुर्घटना की आशंका जताई थी। मालूम हो कि शहर में आईपीडीएस योजना के तहत जगह-जगह तारो का भूमिगत किया जा रहा है। इसमें एलटी व एचटी लाइन के तारों को फाइबर पाइप के जरिए जमीन के अंदर डाला जा रहा है।
इस मुद्दे को कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने गंभीरता से लिया। उन्होंने उर्जा गंगा द्वारा शहर में बिछाई जा रही गैस पाइप लाइन और हाईटेंशन तार को सटाकर बिछाये जाने विभिन्न स्थानों का निरीक्षण कर जायजा लिया। फिर उर्जा गंगा के अधिकारी को निर्देशित किया है कि मुख्य अग्निशमन अधिकारी से वार्ता कर उनके साथ साइट विजिट कर बिछाये जा रहे गैस पाइप लाइन कार्य को सुरक्षा मानको के अनुरूप ही कराया जाय। इसमें किसी भी प्रकार की हिलाहवाली एवं कोताही किसी भी दशा में न बरती जाय। इस पर वही उर्जा गंगा के अधिकारी गौरीशंकर ने बताया कि उर्जा गंगा विभाग द्वारा आईपीडीएस एवं बिजली विभाग के भूमिगत पाइप लाइन से गैस पाइप लाइन की दूरी लगभग 2 मीटर मेंटेन किया जा रहा है। कहा कि इस संबंध में वह मुख्य अग्निशमन अधिकारी से वार्ता कर वस्तुस्थिति से भी अवगत कराएंगे।
Published on:
13 Dec 2017 02:12 pm
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