
rajesh khanna memorair
आवेश तिवारी
राजेशखन्ना की आज चौथी पुण्यतिथि है। सिनेमा के माध्यम से एक वक्त युवा पीढ़ी को मोहब्बत का सलीका सिखाने वाला आजही के दिन हमें छोड़ कर चला गया था । परदे पर दिख रहे नायकों को हमउनकी वास्तविक जिंदगी में अलग करके नहींदेख पाते ,काका तो वैसे ही थे जैसे परदे पर वैसे परदे के बाहर। मशहूर पेंटर ,लेखक और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष चंचल ,राजेश खन्ना के अभिन्न मित्रों में से एक थे| पत्रिका के लिए हमने उनसे बात की ,आइये पढते हैं वो बातचीत-
आवेश -राजेशखन्ना का न होना आपके लिए कैसा है ?
चंचल -बहुतजबरदस्त धक्का लगा मुझे !मुझे उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी मेरा ये दोस्त मुझेछोड़कर चला जाएगा। बहुत ही खूबसूरत और नफीस पल हमने साथ -साथबिताए हैं ,इतना कमाल का इंसान हमने देखा नहीं था । उनका न होनामुझसे ,मुझको अलग कर देने जैसा है।
आवेश -चंचलजी ,एक अभिनेता और एक मित्र के तौर पर आप राजेशखन्ना को कैसे देखते हैं?
चंचल - बतौरअभिनेता तो राजेश खन्ना मेरे किये ऐसा था कि जब मैं विश्वविद्यालय में था तो उनकीफिल्मों के टिकट ब्लेक में खरीद कर देखा करता था |लेकिन उन्ही राजेश खन्ना से जब दोस्ती बढ़ी तो हद से ज्यादा दोस्ती बढ़ी ,मैंने एक चीज जो काका में पायी वो ये थी कि वो जैसे परदे पर थे वैसे ही वास्तविक जिंदगी में भी ।
आवेश -आपराजेश खन्ना के साथ अपनी मुलाक़ात के बारे में बताएं ,कैसे दोस्ती हुई आप दोनों की ?
चंचल -दिल्लीमें हम दोनों के एक कामन मित्र हुआ करते थे नरेश जुनेजा जी ,एक बार उनके यहाँ एक पार्टी चल रही थी ,उस पार्टी में राजेश खन्ना भी मौजूद थे |उस पार्टी में संतोष आनंद जो कि मनोज कुमार की फिल्मों में गीत लिखते थे औरकांग्रेसी विचारधारा के थे कुछ संघ के लोगोंके बीच फंसे हुए थे मैं भी उस बातचीत को सुनने पहुंचा तो संतोष ने कहा कि लो आ गयामेरा दोस्त अब तुम इनसे गांधी के बारे में बात करो । मैंने उनलोगों से कहा गांधी दुनिया के सबसे बड़े पोस्टर डिजाइनर थे ,गांधी और उनके चरखे से बड़ा पोस्टर कोई नहीं हो सकता। अभी बात चल ही रही थी कि पीछे से आवाज आयी “मैंराजेश खन्ना हूँ क्या आप दुबारा इस पर कुछ और बता सकते हैं ?फिर उस दिन से हमारी और राजेश खन्ना की मित्रता हो गयी ।
आवेश -उनसेजुडी कौन सी स्मृति आपको इस एक वक्त सबसे अधिक याद आ रही है ,कभी जीवन मृत्यु के बारे में अपने उनसे चर्चा की कि नहीं ?
चंचल -मौत सेबहुत घबराते थे वो ,यहाँ तक किवो आदमी उम्र के बढ़ाव को भी कभी नहीं महसूस करता था । बहुत हीसकारात्मक और उर्जा से भरे थे राजेश खन्ना शायद यही वजह थी कि वो अवसाद के शिकारकभी नहीं हुए ,वो व्यक्तिहमेशा अपने नोस्टेलजिया में जीता रहा कि मैं इस दुनिया का बेताज बादशाह हूँ ,चाहे राजनीति हो या फिल्म। दरअसल शराब भी उसी का एक लाजिक था |उनसे जुडी कई स्मृतियाँ है एक आपको बताता हूँ। एक बार की बात है मैं अंजू महेन्द्रू और काकादिल्ली में एक जगह बैठे हुए थे ,रात के दो बजे थे ,तभी बाहर से मन्ना डे का गाया और काका पर फिल्मायागया आनंद का वो गीत "जिंदगी कैसी है पहेली "बाहर कहीं से बजता सुनाई पड़ा ,मैं चुपचाप उस गीत को सुनता हुआबाहर टेरिस पर चला गया ,जब गाना खत्म होने के बाद वापस लौटा तो देखा अंजू महेन्द्रू अपने कमरेमें चली गयी हैं ,और वहाँकुर्सी पर बैठे राजेश अकेले रो रहे थे ,मैंने पूछा"क्या हुआ ?"तो काका ने कहा "वही जो आपको हुआ था औरआप बाहर चले गए "
आवेश -आपकोक्या लगता है राजेश खन्ना का होना ,राजेश खन्ना का न होना हिंदी सिनेमा प्रेमियों को कैसे प्रभावित करेगा ?
चंचल -बहुतज्यादा प्रभावित करेगा ,आपको बताऊँराजेश खन्ना जिस फिल्म में जिस ड्रेस में होते थे ,वो अगले दिन से युवा पीढ़ियों की ड्रेस हो जाया करती थी |एक पूरी पीढ़ी के जिंदगी के हर हिस्से को उस आदमी ने प्रभावित किया |उसकी जो फिल्म है आनंद ,देखिये लगताहै सच में राजेश खन्ना मर रहा है ,और वास्तविकजिंदगी में भी उसकी मौत वैसे ही हुई है। उसआदमी ने जिंदगी को पूरी तरह से जिया ,खूब पी आरकरके जिया |फिल्मों में भी उन्होंने रोने के लिए कभीग्लिसरीन नहीं लगाया। मुझेयाद है "आ अब लौट चलें कि शूटिंग चल रही थी ।उस फिल्म मेंएक जगह पर उनको रोना था ,ऋषि कपूर उसफिल्म के निर्देशक थे |ऋषि ने उनसेकहा काका अब कैमरे पर आ जाइए ,वो सेट पर गएऔर मैंने अचानक देखा वो फूट -फूट कर रोने लगे ,उनको संभलने में थोडा समय लगा ,जब वो कुर्सीपर बैठे तो वहाँ सिर्फ वो और मैं था ,मैंने पूछा"काका भाई कोई दर्द है क्या ?उन्होंनेचुपचाप मुझे गले से लगा लिया और रोते रहे ,फिर कहा "आइंदे से ये सवाल मुझसे मत पूछना "।
आवेश -एक चीजबताये चंचल जी कहा जाता है कि राजेश खन्ना ,अमिताभ बच्चन के स्टारडम से ईर्ष्या करते थे ,क्या आपकोकभी ऐसा लगा ?
चंचल -नहींऐसा बिल्कुल नहीं है ,गलाफाडूमीडिया ने जिस तरह से राजेश खन्ना को पेंट किया,उससे बिल्कुल अलग उनकी शख्शियत है ,अपने बच्चों अपनी बीबी से बेइंतेहा प्यार करता था वो आदमी। जबकि इन्ही लोगों ने डिम्पल और राजेश खन्ना कोभी हमेशा दूरियों के साथ प्रस्तुत किया। |उनके पूरे चुनाव प्रचार में डिम्पल उनके साथ थी।जहाँ तकअमिताभ का प्रश्न है वो उनका बहुत ही सम्मान किया करते थे और कई बार अकेले में भीउन्होंने मुझसे ये बात कही।
आवेश -चंचलजी उन्होंने राजनीति क्यों छोड़ दी ?
चंचल-उन्होंने राजनीति छोड़ी नहीं एक बिंदु पर राजनीति से दूर हो गए |आपको बताऊँ कई -कई बार सोनिया जी के यहाँ से फोन आता था लेकिन वो फोन उठानेसे इनकार कर देते थे |वो सीधे कहतेथे मैं चुनाव नहीं लडूंगा सिर्फ केम्पेनकरूँगा |दरअसल उन्हें लगने लगा कि जिस ग्लेमर को मैंजी रहा था राजनीति उस ग्लैमर को कम कर रहीहै ,लेकिन वो उसे छोडना नहीं चाहते थे |
आवेश -बहुतसारे लोग जानना चाहते हैं जब राजेश न फिल्मों में थे न राजनीति में तो कर क्या रहेथे ?
चंचल -शराबपी रहे थे !
आवेश -आपनेकभी मना किया की नहीं ?
चंचल -मनाकिया ,लेकिन जब कभी मना किया मुझे भी उनके साथशामिल होना पड़ा |
आवेश -आखिरीबार उनसे आपकी मुलाकात कब हुई ?
चंचल –मृत्युसे पन्द्रह दिन पहले उनसे फोन पर बात हुईथी ,राज बब्बर ने मुझसे कहा उनकी तबियत ज्यादाखराब है |मैंने फोन पर पूछा कैसी तबियत है आपकी ?उन्होंने कहा "ठीक हूँ साहेब ,
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