scriptडेनमार्क के सहयोग से शुरू होगा नदी जल प्रबंधन पायलट प्रोजेक्ट, गंगा, वरुणा और असि नदी को प्रदूषणमुक्त करने पर होगा काम | River water management pilot project will start with help of Denmark Soon in Varanasi | Patrika News

डेनमार्क के सहयोग से शुरू होगा नदी जल प्रबंधन पायलट प्रोजेक्ट, गंगा, वरुणा और असि नदी को प्रदूषणमुक्त करने पर होगा काम

locationवाराणसीPublished: Aug 12, 2022 01:55:15 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

वाराणसी के लिए समग्र जल प्रबंधन योजना तथा गंगा व उसकी सहायक नदियों के पर्यावरणीय प्रबंधन की चुनौतियों पर विचार-विमर्श के लिए डेनमार्क के आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और आईआईटी बीएचयू के नदी जल प्रबंधन विशेषज्ञो संग की वार्ता। स्वतंत्रता भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में डेनमार्क विकासात्मक सहयोग तथा नोर्डिक कोआपरेशन मंत्री फ्लेमिंग मॉलर मॉर्टसेन के नेतृत्व में डेनमार्क से आई सात सदस्यीय टीम ने भाग लिया।

बीएचयू में चल रहे नदी जल शोधन कार्य की जानकारी लेती डेनमार्क की टीम

बीएचयू में चल रहे नदी जल शोधन कार्य की जानकारी लेती डेनमार्क की टीम

वाराणसी. बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के स्वतंत्रता भवन के सीनेट हाल में आयोजित संवाद के आरंभ में पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के निदेशक प्रो एएस रघुवंशी ने बीएचयू द्वारा जल प्रबंधन में हो रहे शोध कार्यों के बाबत जानकारी दी । इसके बाद वाराणसी में गंगा एवं सहायक नदियां जैसे वरूणा एवं असी आदि की वर्तमान स्थिति तथा नमामि गंगे पर आधारित एक लघु चलचित्र दिखाया गया। इस अवसर पर वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा नदियों के प्रबंधन की दिशा में शुरू कार्यक्रमों को क्रियान्वित किया जा रहा है। नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा के महानिदेशक अशोक कुमार ने भारत सरकार द्वारा अब तक जल एवं नदियों के प्रबंधन के क्षेत्र में उठाए गए सकारात्मक कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। डेनमार्क के मिनिस्ट फ्लेमिंग मॉलर मॉर्टसेन ने कहा कि नदी दल संरक्षण के क्षेत्र में भारत और डेनमार्क के बीच पहली बार समझौता हो रहा है। बताया कि बनारस में गंगा स्वच्छता को स्मार्ट रिवर लैब की स्थापना की जाएगी।
रेम्बोल्स नालेज प्रॉडक्ट का शुभारम्भ

इस अवसर पर डेनमार्क की कन्सल्टेंसी कम्पनी रेम्बोल द्वारा प्रोजेक्ट अरबन लीविंग लैब के अंतर्गत रेम्बोल्स नालेज प्राडक्ट का शुभारम्भ (लांचिंग) किया गया। इस प्रोजेक्ट से नदियों एवं जल के संरक्षण व संवर्धन में सहायता मिलेगी। इस अवसर पर प्रतिनिधि मंडल ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के सहयोगी वालिंटियर खासकर गंगादूत, गंगामित्र, गंगा प्रहरी तथा जलज द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। अपने उद्बोधन में डेनमार्क के विकासात्मक सहयोग मंत्री फ्लेमिंग मोलर मोरटेन्सेन ने वरूणा नदी के पुनरूद्धार के लिए डेनमार्क की ओर से हर सम्भव सहयोग देने को कहा। उन्होंने कहा कि नदियों एवं जल के प्रबन्धन में शीघ्र ही एक पायलट पोजेक्ट आरम्भ किया जाएगा।
बीएचयू में चल रहे नदी जल शोधन कार्य की जानकारी लेती डेनमार्क की टीम
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम का संचालन, स्वागत उद्बोधन एवं धन्यवाद ज्ञापन पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के निदेशक प्रो एसएस रघुवंशी ने दिया तथा संस्थान के वर्तमान डीन प्रो आरके मल्ल एवं पूर्व डीन प्रो जीएस सिंह तथा पूर्व निदेशक प्रो कविता शाह ने पुष्प गुच्छ से प्रतिनिधिमण्डल का स्वागत किया। इस अवसर पर आईआईटी तथा बीएचयू के पर्यावरण प्रबंधन से संबंधित शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं ने प्रतिनिधिमंडल से प्रश्न किए जिसका विशेषज्ञों ने उत्तर दिया। आईआईटी बीएचयू सिविल इन्जीनिरिंग के वरिष्ठ आचार्य प्रो पीके सिंह तथा इण्टरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (आईक्यूएसी) के वाईस चेयरमैन प्रो वीके सिंह आदि भी मौजूद थे।
बीएचयू में चल रहे नदी जल शोधन कार्य की जानकारी लेती डेनमार्क की टीम
डेनमार्क की टीम ने दीनापुर एसटीपी का भी किया निरीक्षण

इससे पूर्व डेनमार्क की टीम ने दीनापुर स्थित 140 एमएलडी के एसटीपी का निरीक्षण किया। इस दौरान जल निगम (गंगा प्रदूषण इकाई) के विशेषज्ञों संग वार्ता की। जल निगम के विशेषज्ञों ने बताया कि यहां 412 एमएलडी की क्षमता से सीवेज ट्रीट किया जाता है। इस मौके पर तय हुआ कि यहां डेनमार्क नई तकनीक से प्रयोगशाला बनाएगी जिसमें सीवेज व पेयजल दोनों तरह के जल की जांच की जाएगी। टीम ने गंगा-वरुणा और असि नदी की मौजूदा हकीकत भी जानी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो