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सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट में बताया, किस जाति को मिलेगा कितना आरक्षण, लागू होते ही मचेगा सियासी तूफान

locationवाराणसीPublished: Dec 18, 2018 02:41:43 pm

Submitted by:

Devesh Singh

27 प्रतिशत आरक्षण को तीन भागों में बाँटा गया, सामाजिक न्याय समिति ने पिछड़ों को 79 उपजातियों में वर्गीकरण कर यूपी सरकार को सौंपी रिपोर्ट

samajik nyay samiti report on OBC reservation

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वाराणसी. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट सरकार को मिल गयी है। सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने इसी रिपोर्ट को लागू करने की मांग को लेकर 24 दिसम्बर से सरकार के खिलाफ आंदोलन किया है। लोकसभा चुनाव 2019 में सपा व बसपा को झटका देने के लिए यूपी सरकार इस रिपोर्ट को लागू कर सकती है। रिपोर्ट के लागू होते ही सियासी तूफान आना तय है। चुनाव की सारी रणनीति बदल जायेगी और जाति कार्ड की सीटों का परिणाम तय करेगा।
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यूपी के तत्कालीन सीएम राजनाथ सिंह ने वर्ष 2002 में पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारे की योजना बनायी थी। उस समय बीजेपी सरकार की मंशा थी कि जिन पिछड़ी जाति के लोगों को आरक्षण का अधिक लाभ मिला है उन्हें अब कम प्रतिशत दिया जाये। लाभ से वंचित अन्य जातियों को आरक्षण का अधिक लाभ मिले। इससे पिछड़े वर्ग की सभी जातियों को आरक्षण का पूरा लाभ मिलेगा। बीजेपी सरकार जाने के बाद यूपी में सपा व बसपा का शासन था इसलिए उस रिपोर्ट पर कभी चर्चा नहीं हुई। सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछड़ों में आरक्षण की स्थिति पता लगाने के लिए समाजिक न्याय समिति का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट मिल चुकी है और लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू भी किया जा सकता है।
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यादव व कुर्मी जाति के लोगों को उठाना होगा नुकसान
समिति की रिपोर्ट के अनुसार पिछड़ों के आरक्षण का सबसे अधिक लाभ यादव व कुर्मी वर्ग के मतदाता को मिला था। समिति ने यादव, कुर्मी, चौरसिया व पटेल जाति के लोगों को 27 प्रतिशत में से 7 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत की है। इन जातियों को पिछड़ा वर्ग में रखा गया है। यदि ऐसा होता है तो इन जातियों को 27 की जगह अब सात प्रतिशत ही आरक्षण मिलेगा।
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अधिक पिछड़ा वर्ग की जातियों को 11 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत
रिपोर्ट में अधिक पिछड़ी जातियों को 11 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत की गयी है। इन जातियों मेे गुज्जर, लोध, कुशवाहा, शाक्य, तेली, साहू, सैनी, माली, नाई आदि जातियां आती है।
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अत्यधिक पिछड़ी जाति के लिए 9 प्रतिशत आरक्षण
रिपोर्ट में अत्यधिक पिछड़ी जाति के लिए ९ प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गयी है। इन जातियों में घोसी, कुरैशी, राजभर, बिंद, निषाद आदि जातियां आती है।
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शीतकालीन सत्र में रखी जा सकती है रिपोर्ट
शीतकालीन सत्र में सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को रखा जा सकता है। जस्टिस राघवेन्द्र कमेटी ने गहन अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट बनायी है। सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार इस रिपोर्ट पर क्या निर्णय करती है यह तो समय ही बतायेगा। इतना तो साफ है कि रिपोर्ट को लागू कर दिया जायेगा तो राहुल गांधी, मायावती व अखिलेश यादव के महागठबंधन के वोटरों को तोडऩे में बीजेपी को सहुलियत हो सकती है।
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