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समिति की रिपोर्ट के अनुसार पिछड़ों के आरक्षण का सबसे अधिक लाभ यादव व कुर्मी वर्ग के मतदाता को मिला था। समिति ने यादव, कुर्मी, चौरसिया व पटेल जाति के लोगों को 27 प्रतिशत में से 7 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत की है। इन जातियों को पिछड़ा वर्ग में रखा गया है। यदि ऐसा होता है तो इन जातियों को 27 की जगह अब सात प्रतिशत ही आरक्षण मिलेगा।
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रिपोर्ट में अधिक पिछड़ी जातियों को 11 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत की गयी है। इन जातियों मेे गुज्जर, लोध, कुशवाहा, शाक्य, तेली, साहू, सैनी, माली, नाई आदि जातियां आती है।
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रिपोर्ट में अत्यधिक पिछड़ी जाति के लिए ९ प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गयी है। इन जातियों में घोसी, कुरैशी, राजभर, बिंद, निषाद आदि जातियां आती है।
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शीतकालीन सत्र में सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को रखा जा सकता है। जस्टिस राघवेन्द्र कमेटी ने गहन अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट बनायी है। सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार इस रिपोर्ट पर क्या निर्णय करती है यह तो समय ही बतायेगा। इतना तो साफ है कि रिपोर्ट को लागू कर दिया जायेगा तो राहुल गांधी, मायावती व अखिलेश यादव के महागठबंधन के वोटरों को तोडऩे में बीजेपी को सहुलियत हो सकती है।
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