
'नजर के सामने जिगर के पास, कोई रहता है, वो हो तुम...' 1990 में आई फिल्म 'आशिकी' का ये गाना तो आपको याद ही होगा? वैसे ये सवाल ही बेजा है, 'आशिकी' के गाने किसको याद नहीं हैं। इस गाने की और लिखने वाले की बात होगी लेकिन बात आगे बढ़ाने से पहले एक बात आपको फिल्म 'आशिकी' के बारे में बता देते हैं।
हम सब ये जानते हैं कि अमूमन फिल्मों के लिए गाने लिखे जाते हैं लेकिन 'आशिकी' वो फिल्म थी जो गानों के लिए लिखी गई थी। दरअसल जो गाने 'आशिकी' में हैं, उनको टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार ने 'चाहत' नाम की एल्बम के लिए रिकॉर्ड किया था। महेश भट्ट ने गाने सुने तो गाने उनको इतने अच्छे लगे कि उन्होंने गानों के हिसाब से कहानी बनाकर फिल्म बनाने की ठान ली और फिल्म बनी 'आशिकी'।
'आशिकी' फिल्म को याद करके कल्पना कीजिए कि आप इस फिल्म को देख रहे हैं। लेकिन फिल्म में एक भी गाना नहीं है। आपको बिना गानों की 'आशिकी' कितने दिन याद रहेगी? शायद बिना गानों के आप पूरी फिल्म भी ना देखें। 'आशिकी' के गाने लिखने वाले गीतकार का नाम है समीर अंजान।
वाराणसी में पैदा हुए समीर अंजान
समीर अंजान का आज बर्थडे है। वाराणसी में 24 फरवरी, 1958 में पैदा हुए समीर अंजान ने कॉमर्स की पढ़ाई की थी। पढ़ाई के बाद बैंक में नौकरी भी शुरू कर दी थी। पिता नहीं चाहते थे समीर मुंबई आएं लेकिन वो मुंबई गए भी और अपने गीतों से मुंबई पर राज भी किया।
समीर के पिता की मर्जी के खिलाफ मुंबई जाने फिर पिता के मुंबई में रहने की इजाजत देने से पहले पूछे गए 3 सवालों की बात भी करेंगे। उससे पहले समीर के कुछ और गीतों की, खासतौर से 90 के दशक के गानों की याद आपको दिला दें ताकि आपको अंदाजा हो जाए कि कैसे 90s समीर के बिना वो 90s नहीं होता, उसका रस कुछ कम होता।
90s क्यों समीर के बिना अधूरा सा है?
'मेरा दिल भी कितना पागल है, ये प्यार तुम्हीं से करता है' और 'देखा है पहली बार साजन की आंखों में प्यार, अब जाके आया मेरे बैचेन दिल को करार' दोनों गाने 1991 में आई फिल्म साजन के हैं। रंग फिल्म का गाना 'तुझे ना देखूं तो चैन मुझे आता नहीं है, तेरे सिवा कोई और मुझे भाता नहीं है'। या फिर नुसरत का गाया 'दूल्हे का सेहरा सुहाना लगता है'। कानों में एक रस सा घोल देते हैं।
आशिकी, साजन, रंग, दीवाना से लेकर दिलवाले, राजा हिन्दुस्तानी, कुछ कुछ होता है, सिर्फ तुम, धड़कन और बिच्छू तक... इन फिल्मों के गाने आज भी आम लोगों की फेवरेट लिस्ट में हैं। अगर कहा जाए कि समीर के गानों ने 3 पीढ़ियों को प्यार करना सिखाया हो तो गलत नहीं है। प्रेम सिखाने वाले समीर अंजान की मुंबई जाने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है।
पिता थे मशहूर गीतकार
समीर अंजान के पिता अंजान हिन्दी फिल्मों के जानेमाने गीतकार थे। उनको फिल्मों में सफलता मिली लेकिन उनका संघर्ष काफी लंबा रहा था। ऐसे में वो चाहते थे कि समीर वाराणसी में ही रहें और नौकरी करें। समीर ने बैंक की नौकरी छोड़कर जब मुंबई पहुंचे तो पिता खफा हो गए। साथ रखने को राजी हुए तो 2 सवालों का जवाब देने पर और 1 शर्त मानने पर।
पिता ने मुंबई जाने पर पूछे थे 2 सवाल, रखी थी 1 शर्त
समीर एक इंटरव्यू में कहते हैं, 'गीतकार बनने का ख्वाब लेकर मुंबई पहुंचा लेकिन पिताजी को ये पसंद नहीं आया। बोले- तुम मुंबई को क्या परियों का देश समझते हो। मैं तुम्हें यहां रहने दूंगा लेकिन तभी जब तुम मेरे 2 सवालों का जवाब दोगे।'
पहला सवाल
समीर से पिता ने पहला सवाल किया- क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया? समीर ने जवाब दिया- हां, किया। पिताजी ने पलटकर पूछा- क्या सोचकर किया? समीर ने जवाब दिया- कोई सोचकर प्यार थोड़े करता है।
अब पिताजी ने कहा कि मैंने तुमसे ये सवाल इसलिए किया क्योंकि मैं जानना चाहता था कि तुम सच्चे आशिक हो या भगोड़े। तुम्हारे जवाब से लगता है कि तुम सच्चे आशिक हो और तुम इंडस्ट्री को छोड़कर नहीं भागोगे।
दूसरा सवाल
समीर के पिता ने दूसरा सवाल किया- तुम क्या ये सोचके मुंबई आए हो कि ये जन्नत है? समीर ने कहा- हां, पिता ने कहा- जन्नत पाने के लिए जानते हो क्या करना पड़ता है? समीर कुछ समझ ना पाए तो पिता ने जवाब दिया- जन्नत पाने के लिए मरना पड़ता है। अगर मरने के लिए भी तैयार हो तो रुक जाओ। समीर ने कहा- तैयार हूं।
पिताजी की शर्त
समीर के पिता ने तीसरी बात जो कही वो एक शर्त थी। समीर के पिता ने कहा- जो भी तुम मुझसे मांगोगे मैं तुमको दे दूंगा लेकिन कभी मुझसे गाने में मदद मांगोगे तो घर से बाहर कर दूंगा। समीर ने सब शर्ते मानीं और फिल्मों में कूद गए।
बनाया सबसे ज्यादा गाने लिखने का रिकॉर्ड़
समीर ने 1983 से फिल्मों में गीत लिखने शुरू किए। फिर 1990 में 'दिल' और 'आशिकी' के गानों के बाद उनको जो प्रसिद्धि मिली, वो किसी गीतकार के लिए ख्वाब के पूरा होने जैसा है। समीर के नाम एक खास रिकॉर्ड भी है, जो उनके नाम पर 2016 में जुड़ा था। ये रिकॉर्ड है 4000 से ज्यादा गाने लिखने का, जो गिनी बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।
‘पहले प्यार’ के लिए लिखा था ‘आशिकी’ का गाना
समीर अंजान की जिंदगी बदलने वाला आशिका का गाना 'नजर के सामने, जिगर के पास' उन्होंने एक लड़की के लिए लिखा था। समीर ने खुद ये बताया था कि ये लड़की उनका प्यार थी, जो जिंदगी से जाने के बाद भी उनकी यादों से नहीं गई। दिलवाले के गाने जीता था 'जिसके लिए जिसके लिए मरता था' के पीछे की प्रेरणा भी वो इसी लड़की को मानते हैं।
समीर अंजान कहते हैं कि मैं सोचकर नहीं लिखता हूं, मैं वो लिखता हूं जो मैंने जिया है। यही वजह है कि उनके गाने आम लोगों के सीधे दिल में उतर जाते हैं। यही वजह है कि 40 साल से उनके गाने आम लोगों की जुबान पर है। यही वजह है कि वो लोग जो 90 में पैदा भी नहीं हुए थे वो भी जब कार, ऑटो में बैठकर सड़क से निकलते हैं तो भीतर से आवाज आती है-
मुझे नींद न आए
मुझे चैन न आए
कोई जाए जरा ढूंढ के लाए
ना जाने कहां दिल खो गया
ना जाने कहां दिल खो गया।
Updated on:
24 Feb 2023 09:45 am
Published on:
24 Feb 2023 07:53 am
बड़ी खबरें
View Allवाराणसी
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
