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यह है काशी का दूसरा गोल्डेन टेम्पल, Pm मोदी भी कर चुके हैं दर्शन

NRI संत रविदास को भेंट करते हैं सोना

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Sant Ravidas Temple

संत रविदास का मंदिर

वाराणसी. काशी के कण-कण में जहां भगवान विश्वनाथ बसते हैं उसी धर्म नगरी काशी में एक संत रविदास का ऐसा मंदिर है जिसे काशी के दूसरे गोल्डेन टेंपल के नाम से जाना जाता है। यह इसलिए भी है कि इसके सीर गोवर्धन यानी संत शिरोमणि रविदास जी का जन्म स्थल यहां पर निर्मित इनका भव्य मंदिर भी अब गोल्डेन टेंपल के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यहां पर 200 किलो से ज्यादा सोना मौजूद है। इस बार संत रविदास जयंती 31 जनवरी को मनाया जाएगा।

NRI संत रविदास को भेंट करते हैं सोना
31 जनवरी को वाराणसी के सीर गोवर्धन में संत रविदास की जयंती मनाई जाएगी। इसमें देश से ही नहीं विदेश से लाखों की संख्या में रविदास धर्म को मानने वाले लोग आते हैं। इस भीड़ में शामिल हैं कई ऐसे NRI जो अपने आराध्य संत रविदास को सोना भेंट करते हैं। इस मंदिर के शिखर का कलश और मंदिर में मौजूद संत रविदास की पालकी से लेकर छत्र तक सब कुछ सोने का है।

इस मंदिर में पीएम मोदी भी कर चुके हैं दर्शन
सीर गोवर्धन गांव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां संत दर्शन को पीएम नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल के अलावा यूपी की सीएम रहते बसपा सुप्रीमो मायावती भी आ चुकी हैं। वहीं यहां हर साल दर्शन को रविदास के भक्त कनाडा, ब्रिटेन समेत कई अन्य जगहों से भारी संख्या में आते हैं। यही वजह है कि मंदिर प्रबंधन को हर साल दान में भारी मात्रा में सोना मिलता है। दान में मिली चीजों में 130 किलो सोने की पालकी, 35 किलो सोने का दीपक, 35 किलो सोने की छतरी और 32 स्वर्ण कलश मेन हैं।


130 किलो की रखी हुई है पालकी
संत रविदास मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी रखी हुई है। इसे 2008 में यूरोप के भक्तों ने संगत कर पंजाब के जालंधर में बनवाया था। इसका अनावरण बसपा सुप्रीमो मायावती ने फरवरी 2008 में किया था। इस पालकी को साल में एक बार जयंती के दिन निकाला जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1965 में हुआ था। यहां पहला स्वर्ण कलश 1994 में संत गरीब दास ने संगत के सहयोग से चढ़ाया था। बाद में भक्तों ने इसे 32 स्वर्ण कलशों से सुशोभित किया।


यहां जलता है 5 किलो घी का दीपक
इसके अलावा 2012 में 35 किलो का सोने का स्वर्ण दीपक बनवाया गया। इसमें अखंड ज्योति जल रही है। इस दीपक में एक बार में पांच किग्रा घी भरा जाता है। इतना ही नहीं एक भक्त ने संगत कर मंदिर में 35 किलो सोने का छत्र भी लगाया है। कुल मिलाकर इस पूरे मंदिर में 200 किलो से ज्यादा सोना मौजूद है। जो हर साल भक्तों के दान से बढ़ता ही जा रहा है।