
तिलभांडेश्वर महादेव
वाराणसी. काशी भोलेनाथ की नगरी में हर शिवलिंग का अपना महात्म्य है। इसमें अतिप्राचीन तिलभांडेश्वर महादेव का भी पौराणिक इतिहास है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से लगभग 500 मीटर दूर पांडेय हवेली (बंगाली टोला स्कूल के समीप) में स्थित है। मंदिर गर्भगृह में बाबा का विशाल शिवलिंग विराजमान है। यहां हर दिन तो भक्तो की भीड़ उमड़ती ही है। पर सावन में इनका दर्शन का करने का महत्व और भी बढ़ जाता है।
सावन और प्रदोष को दर्शन-पूजन का विशेष महत्व
काशी खंड में तिलभांडेश्वर महादेव का उल्लेख है। सोमवार और प्रदोष व्रत पर इनका विशेष महत्व है और इस दिन शिवभक्त विशेष पूजन-अर्चन करते है। इस बाबा के साथ ही रुद्राक्ष शिवलिंग का भी दर्शन होता है। माना जाता है कि बाबा का शिवलिंग प्रतिदिन तिल के बराबर बढ़ता रहता है। इसलिए इनका नाम तिलभांडेश्वर पढ़ा। हालाँकि शिवलिंग की कितनी गहराई है वो आज तक नही पता चल पाया है। सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां विशेष झांकी सजाई जाती है। जिसमे झूलनोत्सव श्रृंगार झांकी मुख्य आकर्षक का केंद्र रहता है। बाबा दरबार में भक्त काल सर्प दोष की शांति पूजन के लिए आते है। मंदिर परिसर छोटे-बड़े मिलकर कुछ 53 देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान है।
पौराणिक इतिहास
तिलभांडेश्वर महादेव की उतपत्ति कब और कैसे हुई यह कोई नही बता सका। जानकार बताते है कि शिवलिंग अनादिकाल से विद्यमान है। पुराणों वे अनुसार स्वंयम्भू तिलभांडेश्वर शिवलिंग महान ऋषि विभाण्ड के तपोस्थली के नाम से जाना जाता है। ऋषि विभाण्ड यही पर पूजन-अर्चन, अनुष्ठान, साधना करते थे। तब से समय भगवान ने उनसे कहा कि यब सिद्ध शिवलिंग कलयुग पर्यन्त रोज एक तिल के बराबर बढ़ते रहेंगे।
ऐसी है इन इन भोले नाथा की महत्ता
इनका महात्म्य गंगा सागर में बार-बार स्नान, प्रयाग संगम में स्नान और काशी के दशाश्वमेध घाट पर स्नान करने से जो पुण्य की प्राप्ति होती है, उस फल, पुण्य की प्राप्ति केवल एकबार इनके दर्शन मात्र से हो जाती है।
औरंगजेब के सैनिक हुए पलायित
प्राचीन इतिहास के अनुसार जब औरंगजेब काशी आया तो उसने यहाँ के मंदिरों के बारे में परीक्षा लेनी चाही की इनके पत्थरों में शक्ति है या नही। औरंगजेब ने अपने सैनिकों को मंदिर ध्वस्त करने की नीयत से तिलभांडेश्वर महादेव भेजा। सैनिको ने शिवलिंग पर जैसे ही फावड़ा चलाया उसमे से रक्त की धारा बहने लगी। इस अद्भुत चमत्कार को देख कर औरंगजेब के सैनिक यहां से पलायित हो गए।
Published on:
18 Jul 2022 08:47 am
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