
हाईकोर्ट का निर्देशइलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में प्राइमरी स्कूलों के भवन जर्जर होने से दुर्घटना की आशंका को देखते हुए जिलाधिकारी को दुर्घटना रोकने के तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है और कहा है कि वह बीएसए को साथ लेकर प्राइमरी स्कूलों का 19 अगस्त को निरीक्षण कर,21 अगस्त को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करें। इसके साथ ही कोर्ट ने खस्ताहाल स्कूल भवनों को देखते हुए सुरक्षा के कदम उठाने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस गोविन्द माथुर तथा जस्टिस सी.डी सिंह की खंडपीठ ने वाराणसी के सामाजिक संगठन जन अधिकार मंच की जनहित याचिका पर दिया है।

ये है याचियों का कहनायाचियों का कहना है कि उनकी संस्था के सदस्यों ने वाराणसी के 17 प्राइमरी स्कूलों का निरीक्षण किया। कई स्कूलों के भवन ऐसी हालत में पाये गये कि वे कभी भी गिर सकते हैं। कई स्कूल एक कमरे में चल रहे हैं। औसानगंज में प्राइमरी स्कूल एक कमरे में चल रहा है, न तो लैब है और न ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है। भवन कभी भी गिर सकता है। पांच कक्षाएं तीन कमरों में चलाई जा रही हैं और 45 बच्चों को तीन अध्यापक पढ़ा रहे हैं।

इन स्कूलों की हालत ज्यादा खस्ताहालसोनारपुर, रामघाट, राजघाट, पीली कोठी, मछोधरी, कमला गढ़, कालभैरव, दुर्गाघाट आदि कई जगहों पर स्थित स्कूलों में सुविधाओं का अभाव है। एक या दो कमरों में स्कूल चल रहे हैं। गणेश महल में एक कमरे में 53 बच्चे पढ़ रहे हैं। भवन जर्जर है। जगतगंज में 45 बच्चे टीनशेड के नीचे पढ़ते हैं। मैत्री मठ में 50 बच्चे जर्जर भवन में पढ़ रहे हैं। लक्खीघाट पर दो कमरों में 90 बच्चे पढ़ते हैं और तीन अध्यापक उन्हें पढ़ा रहे हैं। एक स्कूल की छत से पत्थर भी गिर चुका है। बिना मूलभूत सुविधाओं के जर्जर भवन में विद्यालय में बच्चों की दुर्घटना होने की संभावना है। कोर्ट ने इस याचिका को गंभीरता से लिया है। याचिका पर अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।

सूरतेहाल कई स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं। कई में टॉयलेट की कंडिशन ठीक नहीं कई जगह पीने का पानी नहीं बिल्डिंग के बुरे हाल हैं

सुप्रीम कोर्ट ने दो साल पहले राज्य सरकार को लगाई थी फटकारसुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने दो साल पहले राज्य के प्रशासन पर टिप्पणी करते हुए इसे दयनीय बताया था। साथ ही यूपी के चीफ सेक्रेट्री को चार हफ्ते में स्कूलों की खामियों को ठीक करवाने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों की स्थिति के आंकलन को बनाई थीसुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका पर प्रदेश में पहली क्लास से लेकर आठवीं तक के सरकारी स्कूलों की स्थिति का आंकलन करने के लिए एक कमिटी गठित की थी। इसमें तीन वकीलों को रखा गया था। कमिटी ने इलाहाबाद के सरकारी स्कूलों की जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें कहा गया कि स्कूलों की स्थिति खस्ताहाल है। कोर्ट ने रिपोर्ट देखने के बाद माना कि स्कूलों की स्थिति दयनीय है। बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव है। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को इसकी इजाजत दी है कि वह स्कूल ठीक करवाने को कमिटी बना सकते हैं।

मॉडल स्कूल भी खस्ताहालरोशनपुर मॉडल का जितने भी स्कूल पूरे प्रदेश में बने थे वह सभी शासन द्वारा कराई गई जांच में जर्जर पाए गए हैं फिर भी शासन द्वारा इन्हें क्षतिग्रस्त करा कर नए कमरे बनवाने का आदेश नहीं दिया जा रहा है जिस वजह से ज्यादातर स्कूलों में जगह होने के बावजूद बच्चे दो कमरे में ही पढ़ रहे हैं इस कारण से उनके मौलिक अधिकारों का एवं शिक्षा अधिकार कानून का उल्लंघन खुद सरकार द्वारा किया जा रहा है।