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शिव की कचहरी भी अब काशी विश्वनाथ काॅरिडोर का हिस्सा, जानिये क्या है इसकी मान्यता

धीरे-धीरे बढ़ रहा है काशी विश्वनाथ धाम का दायरा अक्टूबर में उद्घाटन की चल रही है तैयारी

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Kashi Vishwanath Temple

काशी विश्वनाथ मंदिर

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

वाराणसी. काशी में दीवानी फौजदारी मुकदमों का निपटारा करने वाली कचहरी के अलावा एक और कचहरी भी है। यहां न सिर्फ लोग अपनी फरियाद लेकर आते हैं, बल्कि उनके पक्ष में मुकदमाें का फैसला भी आता है। हम बात कर रहे हैं काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल स्थित शिव कचहरी की, जिसकी श्रद्घालुओंं में बड़ी मान्यता है। शिव की कचहरी में अनगिनत शिवलिंग विराजमान हैं तो अन्य सभी देवी-देवताओंं की प्रतिमाएं भी यहां हैं। अब इस शिव कचहरी को भी भव्य बन रहे काशी विश्वनाथ काॅरिडोर का हिस्सा होगी। इसे भी काॅरिडोर में शामिल कर लिया गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा का दर्शन करने आने वाले श्रद्घालु सीधे शिव कचहरी के भी दर्शन कर सकेंगे।


धीरे-धीरे काशी विश्वनाथ मंदिर का दायरा बढ़ रहा है। शिव कचहरी समेत आसपास के मंदिरों को भी विश्वनाथ मंदिर परिसर में समाहित कर लिया गया है। जब विश्वनाथ काॅरिडोर बनकर तैयार होगा तो भक्तों के सामने काशी विश्वनािा मंदिर का भव्य और विस्तृत रूप नजर आएगा। सभी मंदिरों को बेहद खूबसूरती से सजाया जा रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व मंत्री डाॅ. कुलपति तिवारी के मुताबिक काशी की शिव कचहरी से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। उन्होंने बताया कि मुकदमे में फंसने वाले लोग लोग यहां आकर फरियाद करते हैं और अर्जी लगाते हैं तो फैसला उनके पक्ष में आता हैं।


अक्टूब तक उद्घाटन की तैयारी

काशी विश्वनाथ काॅरिडोर को अक्टूबर तक पूरा करके इसके उद्घाटन की तैयारी है। पीडब्ल्यूडी अभियंता संजय गोरे के मुताबिक मुख्य मंदिर और चौक का काम मई तक पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही यात्री सुविधा केन्द्र भी शुरू हो सकता है। उन्होंने बताया कि मंदिर चौक से सीधे गंगा का दर्शन किया जा सकेगा।


बालेश्वर पत्थर से सजेंगी दीवारें

काशी विश्वनाथ काॅरिडोर में बन रहे भवरों की दीवारें बालेश्वर पत्थरों से सजेंगी जिनसे पूरे धाम की गुलाबी आभा उभरकर आएगी। दीवारों पर क्लैम्प के जरिये पत्थर लगाए जाएंगे। काॅरिडोर परिसर स्थित गोयनका लाइब्रेरी के भवन को संरक्षित किया जाएगा। प्रवेश द्वार जलासेन घाट को करीब 15 मीटर तक बढ़ाया गया है। नदी में कांक्रीट की दीवार बनाई गई है। नदी की ओर से आने वाले श्रद्घालुओंं के लिये जेटी और प्लेटफाॅर्म तैयार किया जाएगा। इसे जून से पहले पूरा कर दिया जाएगा। जरूरत के मुताबिक कुछ भवनों की डिजाइन में भी बदलाव किया गया है।