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IIT BHU के मेधावियों ने चूमा सफलता का शिखर, मृणाली और मनु को मिले आठ-आठ मेडल

आईआईटी (बीएचयू) का छठवां दीक्षांत समारोह ,1256 मेधावियों छात्रों को दी गई उपाधि, 47 को मिला स्वर्ण पदक।

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आईआईटी बीएचयू की छात्रा

मृणाली मोदी

वाराणसी. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) के छठवें दीक्षांत समारोह में संस्थान के 12 56 मेधावियों को दी गईं उपाधियां तो 47 छात्र-छात्राओं को मिले स्वर्ण पदक । लेकिन मृणाली मोदी और मनु अग्रवाल ने आठ-आठ मेडल हासिल कर जहां अपनी मेधा का लोहा मनवाया वहीं इन दोनों ने ही चमन को जीत लिया, महफिल लूट ली। शनिवार और स्वितंत्रता भवन में आयोजित दीक्षांत समारोह के नायक नायिका तो मृणाली औ मनु ही रहे। रसायन अभियांत्रिकी (केमिकल इंजीनियरिंग) की छात्रा मृणाली और संगणक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी (कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग) के मनु ने विभिन्न श्रेणियों में सर्वाधिक आठ-आठ मेडल प्राप्त कर अपनी मेधा का परचम फहाराया। साथ ही सिविल इंजीनियरिंग, बीटेक के छात्र रनवीर सिंह, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, बीटेक के छात्र हर्ष कुमार केडिया, इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग के छात्र वैभव गोयल, मैकेनिकल इंजीयरिंग के छात्र आकाश राय को विभिन्न परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए क्रमशः सात-सात मेडल मिले। वहीं, धातुकीय अभियांत्रिकी (मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग) के प्रभुतोष कुमार और बी. फार्मा के निखिल कुमार को तीन-तीन मेडल और खनन अभियांत्रिकी (माइनिंग इंजीनियरिंग) की खुशी साहू और सिविल इंजीनियरिंग के हर्ष गोयल को दो-दो मेडल मिले। समारोह के मुख्य अतिथि किरन कार्णिक और सोम देव त्यागी ने छात्र-छात्राओं को मेडल और अवार्ड से सम्मानित किया। पुरस्कार वितरण का संचालन संस्थान के कुलसचिव डॉ एसपी माथुर ने किया।

दीक्षांत समारोह के मुख्य वक्ता रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के केंद्रीय निदेशक मंडल के निदेशक पद्मश्री किरन कार्णिक ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि टेक्नॉलजी में आगे बढ़ने के लिए इनोवेशन बहुत जरूरी है। एक इंजीनियर के तौर पर सोच हमेशा तार्किक होनी चाहिए। 21वीं सदी में तकनीकी के साथ-साथ इनोवेशन को लेकर चलने से ही देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा। समारोह के विशिष्ठ अतिथि प्रमुख समाजसेवी सोमदेव त्यागी ने छात्रों को जीवन के लक्ष्य के बारे में विस्तार से समझाया। बताया कि शैक्षणिक संस्थान कार्यकुशलता और पद्धति की जानकारी दे सकता है लेकिन इसे लागू कहां करना है इसका निर्णय छात्रों को स्वयं लेना होगा। उन्होंने छात्रों को अर्थपूर्ण जीवन जीने पर बल दिया। उन्होंने छात्र-छात्राओं को सलाह दी कि कभी दूसरों की सफलता या असफलता से अपनी तुलना न करें। खुद को इंसान बनाएं। अपनी शर्तों पर जीना सीखें। साथ ही सबसे महत्वपूर्ण कि अपनों के साथ शिकायतमुक्त हो कर जीना सीखें। ये सारी चीजें किसी शिक्षण संस्थान में नहीं सिखाई जा सकती हैं। आप कुशल इंजीनियर हो सकते हैं पर कुशल इंसान बनना ज्यादा जरूरी है। कहा कि आज युवाओं के लिए कहीं ज्यादा चुनौती है। ऐसे में सफल वही है कि जो इंजीनियर, डॉक्टर व वकील बनने से पहले इंसान बनें। कभी दूसरों से तुलना कर खुद को छोटा न मानें। कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गरीबी अर्थ से नहीं मानसिक है। लेकिन उसे दूर नहीं किया जा सकता। ऐसा ही आदिवासियों के साथ है। आज जरूरत माइंडसेट बदलने की है। यह तय करें कि किस तरह हम मानव बन सकते हैं। कहा कि पहले इस देश में बेटियां असुरक्षित थीं लेकिन आज तो बेटे और कुत्ते भी असुरक्षित हैं। कहा कि शिक्षा ऐसी ग्रहण करें कि जीवन में पीछे मुड़कर न देखना पड़े। एक इंजीनियर जब इंसान बनना सिखाएगा तो वह कहीं ज्यादा अच्छा इंसान बना सकता है। आज की जरूरत समाज में अच्छे इंसान बनाने की है।

दीक्षांत समारोह में शैक्षणिक कार्य के अधिष्ठाता प्रो. एएसके सिन्हा, अनुसंधान एवं विकास के अधिष्ठाता प्रो पीके जैन, संसाधन एवं पूर्व छात्र अधिष्ठाता प्रो एके त्रिपाठी, छात्र कार्य अधिष्ठाता प्रो एके मुखर्जी, डिप्टी चीफ प्रॉक्टर प्रो प्रभाकर सिंह, प्रो एके झा, प्रो एस जीत, प्रो बी मिश्रा, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी डॉ श्याम बाबू पटेल, परीक्षा नियंता एमआर पाठक समेत संस्थान और विश्वविद्यालय के कई शिक्षक, अधिकारी, छात्र एवं उनके अभिभावक उपस्थित रहे। समारोह का शुभांरभ महामना मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यापर्ण और कुलगीत के साथ हुआ। दीक्षांत समारोह के आरंभ की घोषणा संस्थान के निदेशक प्रो राजीव संगल ने की। फिर आख्या पढ़ी।