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तेज बहदुर यादव का दावा हुआ सच, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नामांकन निरस्त होने का मामला

वाराणसी में पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ किया था नामांकन, जानिए क्या है कहानी

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Tej Bahadur Yadav

Tej Bahadur Yadav

वाराणसी. बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। नामांकन निरस्त होने के बाद ही तेज बहादुर यादव ने न्याय नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट जाने का दावा किया था जो अब सही साबित हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ही अब तेज बहादुर यादव के निरस्त नामांकन को लेकर कोई निर्णय कर सकता है।
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बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बनारस सीट से लोकसभा चुनाव 2019 में पहले निर्दल प्रत्याशी के रुप में नामांकन किया था बाद में अखिलेश यादव व मायावती के महागठबंधन के तहत प्रत्याशी हो जाने के बाद सपा से नामांकन किये थे। नामांकन के समय तेज बहादुर यादव ने निर्दल व प्रत्याशी के तौर पर अलग-अलग जानकारी दी थी। इसके बाद जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने तेज बहादुर को नोटिस देकर प्रमाण पत्र देने को कहा था। तेज बहादुर यादव का दावा था कि कम समय मिलने के बाद भी उन्होंने प्रमाण पत्र दे दिया था लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी का मानना था कि निर्धारित समय तक प्रमाण पत्र नहीं दिया गया था इसलिए नामांकन निरस्त किया गया था। इसको लेकर सपा कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त आपित्त दर्ज करायी थी। कलेक्ट्रेट परिसर में तेज बहादुर के समर्थकों पर धरना-प्रदर्शन, नारेबाजी व धारा १४४ के उल्लंघन का आरोप लगा था। इसके बाद एक एडवोकेट की तहरीर पर कैंट पुलिस ने तेज बहादुर यादव व अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया था। बनारस संसदीस सीट से सपा प्रत्याशी के रुप में तेज बहादुर यादव व शालिनी यादव दोनों ने ही नामांकन किया था। तेज बहादुर यादव का नामांकन निरस्त हो गया था इसके बाद शालिनी यादव ही महागठबंधन की प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही है। शालिनी यादव ने तेज बहादुर यादव को राखी बांध कर भाई बना लिया है और तेज बहादुर यादव ने शालिनी यादव के पक्ष में चुनाव प्रचार करने का ऐलान किया था। इसी बीच तेज बहादुर यादव सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं अब देखना है कि कोर्ट उनकी याचिका पर क्या निर्णय करती है।
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