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Tokyo Olympic 2020: भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद जीता पदक, वाराणसी के खिलाड़ी ललित उपाध्याय के पिता बोले टीम और बेटे पर भरोसा

वाराणसी के शिवपुर क्षेत्र के भगतपुर गांव के रहने वाले हैं हाॅकी टीम के खिलाड़ी ललित उपाध्याय। 25 साल बाद इंडियन हाॅकी टीम में वाराणसी के खिलाड़ी को मिला मौका, टीम ने 41 साल बाद जीता पदक।

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lalit upadhyay

पत्रिका न्यूज नेटवर्क, वाराणसी. Tokyo Olympics 2020: टोकियो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हाॅकी टीम ने चार दशक बाद एक बार फिर इतिहास रचते हुए प्ले ऑफ मुकाबले में दुनिया की दिग्गज मानी जाने वाली जर्मनी की हाॅकी टीम को 5-4 से हराकर कांस्य पदक पर कब्जा जमाया है। वाराणसी भी भारतीय टीम की इस जीत का हिस्सेदार बना है। वाराणसी के हाॅकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय ने इस जीत में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय टीम की जीत और ललित की इसमें अहम भूमिका को लेेकर वाराणसी और उनके घर में जश्न का माहौल है।


वाराणसी के शिवपुर क्षेत्र के छोटे से गांव भगतपुर के रहने वाले ललित ने अपनी मेहनत, बुलंद औसले और जद्दोजेहद से ये हाॅकी टीम में जगह बनाई और अब टीम ने शानदार जीत दर्ज की है। 19 जून को टोकियो ओलंपिक के लिये हाॅकी टीम में उनके सेलेक्शन के बाद से ही परिवार और उनके कोच परमानंद मिश्रा भी उत्साहित थे। अब पूरा गांव जीत के जश्न में डूबा हुआ है और दोस्त व प्रशंसक ललित के घर पर जुटे हैंं

ललित उपाध्याय के पिता सतीश उपाध्याय का कहना है कि उन्हें अपने बेटे और भारतीय टीम पर पूरा भरोसा था कि वो जरूर सफल होंगे। कहा कि ये बाबा विश्वनाथ की बड़ी कृपा है कि बेटा मेडल लेकर लेकर आ रहा है। हम लोग 23 जुलाई से ही लगातार प्रार्थना कर रहे थे। आज हमारी प्रार्थना पूरी हुई और टीम की मेहनत सफल हुई। इस बार कांस्य पदक जीता है अगली बार भारतीय टीम स्वर्ण पदक जरूर जीतेगी।


उधर ललित उपाध्याय के कोच परमानंद मिश्रा ने बताया कि ललित बेहद जुझारू और खेल के प्रति गंभीर रहा है। परमानंद मिश्रा यूपी काॅलेज में साई की ओर से हाॅकी ट्रेनिंग सेंटर के कोच थे। उन्होंने बताया कि ललित दो बार वर्ल्ड कप और एक बार काॅमनवेल्थ गेम में भी हाॅकी खेल चुका है। उन्होंने बताया कि ललित की जीत वाराणसी के लिये गर्व की बात है। 1996 में राहुल सिंह को भारतीय टीम में मौका मिला था। 25 साल बाद ललित को मौका मिला।