
रिजल्ट का इंतजार कर रहे बच्चों के लिए इन बातों का खास खयाल रखें माता-पिता, परिणाम होगा बेहतर
वाराणसी.यूपी बोर्ड के परीक्षा परिणाम की तिथियों का ऐलान हो चुका है। 29 अप्रैल को घोषित होने वाले इस परिणाम को लेकर छात्रों की टेंशन बढ़ गई है। परिणाम से ठीक पहले ये देखा जा रहा है कि भारी तादात में छात्रों में फेल होने का डर सता रहा है। वहीं परीक्षा में सख्ती की वजह से अभिभावकों के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा रही हैं। साथ ही छात्र भी खासा परेशान हैं। ऐसे में अभिभावकों की पूरी जिम्मेदारी है कि वो छात्रों का पूरा खयाल रखें और उनके भीतर परिणाम को लेकर किसी भी तरह नकारात्मक भाव को प्रवेश न होनें दें पत्रिका से खास बातचीत में अग्रसेन महिला पीडी कालेज की प्रोफेसर संध्या झा ने छात्रों को इस दबाव से बचने के लिए कई सुक्षाव दिये हैं।
सकारात्मक बातों से बच्चों को दें उर्जा
संध्य़ा झा कहती है कि ये वक्त बच्चों के लिए बेहद ही घबराहट भरा होता है ऐसे में बच्चों को डराने धमकाने और परिणाम को लेकर उनपर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए। क्यूंकि ये उनके लिए बहुत ही मुश्किल भरा वक्त होता है आपका थोड़ा सकारात्मक बनना बच्चों के लिए अहम होता है।
मां की देखरेख की काफी जरूरत
परिणाम का इंतजार कर रहे इन होनहारों को मां के साथ की काफी जरूरत होती है। इस वक्त बच्चों के दिमाग में तमाम तरह की बातें चल रही होती हैं जो वो हर किसी से नहीं कह पाते हैं। ऐसे में इस समय मां के साथ की काफी जरूरत होती है। क्यूंकि मां से बच्चों का खास भावनात्मक लगाव होता है। बच्चों को प्यार दुलार के साथ-साथ उनके बेहतर भविष्य के लिए अच्छे फैसले लेने के लिए मां की भूमकि खास हो जाती है।
दोनों की हालातों के लिए करें तैयार, भरपूर दें उत्साह
संध्या झा कहती हैं कि परिणाम का इंतजार कर रहे बच्चों को पास होने या फेल होने जैसी बातों के लिए तैयार करना चाहिए। अगर उन्हे फेल होने का भय सता रहा है या नंबर कम मिलने जैसी किसी बात की चिंता हो रही है तो ऐसे में उन्हो दोनों बातों के लिए तैयार कर देना चाहिए। या बता देना चाहिये कि पास होना फेल हो जाना कम या अधिक नंबर पाना ये सारी बातें सामान्य हैं। जहां भी परिणाम में कमी नजर आये तो उसका फिर से मूल्यांकन कर बहुत अच्छे परिणाम लाये जा सकते हैं।
परीक्षा का परिणाम है जीवन का नहीं
संध्या कहती हैं कि बच्चों के मन में ये बात खुशी-खुशी बैठा देना चाहिये कि ये महद एक परीक्षा का परिणाम है जीवन का परिणाम नहीं है। जीवन में इस तरह कही तमाम परीक्षा और सफलताओं का हासिल करने का मौका मिलता रहता है। इसलिए इन बातों को लेकर किसी भी तरह के तनाव की कोई जरूरत नहीं है।
परिणाम अच्छा हो तो खूब दें शाबासी, कमी हो खुद स्वीकारें
संध्या कहती हैं कि परिणाम बेहतर आने पर बच्चों का खूब शाबासी देनी चाहिये। ये बताना चाहिये कि तुम सबसे अच्छा किये हो और आगे भी बेस्च करोगे। किन्ही परिस्थितियों में अगर परिणाम खराब रहे तो ऐसी स्थिति में छात्रों पर उत्तेजित होने की बजाय उसे खुद की गलती की रूप में स्वीकार कर लें। आजकल बच्चे हर चीज को भावनाओं पर ले लेते हैं। ऐसे में अभिभावक रिजल्ट को लेकर न खुद तनाव में रहें ना उन्हें लेने दें। प्रेम से समझाएं।
Published on:
21 Apr 2018 06:08 pm
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