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वाराणसी. पुलिस पर आये दिन तमाम आरोप लगते रहे हैं लेकिन शासन से उन्हें क्या सुविधा मिलती है इसकी कम चर्चा होती है। पुलिस जब किसी आरोप में व्यक्ति को पकड़ कर लॉकअप में रखती है तो उसे खाना खिलाने की जिम्मेदारी भी थाने की होती है। 27 साल से पुलिस बंदियों को पांच रुपये में एक टाइम का खाना खिला रही थी और अब जाकर रकम में छह गुना वृद्धि की गयी है। शासन के नये निर्देश के अनुसार बंदियों के खाने के लिए 25 रुपये व चाय के लिए पांच रुपये दिये जायेंगे। इस तरह एक बंदी पर शासन 30 रुपये खर्च करेगी। महंगाई को देखते हुए समझा जा सकता है कि पहले भी पुलिस इतने पैसों मे कैसे बंदियों का पेट भरती होगी और आने वाले समय में भी इतने पैसों से कैसे खाना खिलायेगी।
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प्रदेश के उपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने डीजीजी ओपी सिंह व उपर पुलिस महानिदेशक प्रयागराज को पत्र लिख कर बढ़ी हुई दर की जानकारी दी है। उन्होंने अपने पत्र में प्रयागराज पुलिस के काफी समय से बंदियों को मिलने वाली खुराक के दाम बढ़ाने के अनुरोध का हवाला देते हुए ही नया आदेश जारी किया है। आदेश में साफ लिखा है कि पुलिस अभिरक्षा में रखे गये बंदियों को एक टाइम का खाने खिलाने के लिए पांच रुपये दिये जाते थे और दो बार खान खिलाया तो 10 रुपये मिलते थे। पत्र में लिख गया है कि 27 साल बाद इस दर में वृद्धि की जा रही है। शासन के नये निर्देश के अनुसार पुलिस को अब बड़ी हुई रकम मिलने लगेगी। बड़ी बात है कि इस महंगाई में 25 रुपये में एक समय का खान उपलब्ध कराया जा सकता है।
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अखिर कैसे भरता था बंदियों का पेट
पुलिस सूत्रों की माने तो थाने के मेस में बनने वाला खाना ही बंदियों को खिलाया जाता था। सभी जगहों पर पांच रुपये में अच्छी चाय नहीं मिल पाती है ऐसे में पांच रुपये में बंदियों का पेट कैसे भरा जाता। नयी रकम में भी पेट भरने में नाकाफी है लेकिन विचाराधीन बंदियों की जिम्मेदारी थाने की होती है इसलिए पुलिसकर्मी अपने स्तर पर ही बंदियों का पेट भरते थे।
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Published on:
23 Sept 2019 03:40 pm
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